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Monday, June 16, 2025

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Poetry by Medha Jha: पिता मेरे 

Poetry by Medha Jha:मिलूं तुमसे हर जन्म में, पुत्री बन कर तुम्हारी..
शब्द चूक जाते हैं,
अधर निशब्द हो जाते हैं,
जब साथ तुम्हारा होता है,
मन आश्वस्त हो जाता हैं।
छलनाओं से भरी धरती,
सच्चाई के प्रतीक तुम,
जीवन के कठिन डगर पर,
आशाओं के प्रतीक तुम।
परीक्षाओं की घड़ी में,
मेरा आत्मविश्वास तुम,
हताशा के दुरूह क्षण में,
मेरा अटूट विश्वास तुम।
मेरे परम प्रिय मित्र तुम ,
तुम्हीं श्रद्धेय शिक्षक भी,
पथ प्रदर्शक भी तुम हो,
प्रेरणा के स्त्रोत भी।
जीवन के मधुर संगीत तुम,
बाल कल्पना के चितेरे भी,
चेतना के उद्घोष तुम,
हृदय के कोमल भाव भी।
तुम्हारे शब्द
ब्रह्म वाक्य मेरे लिए,
तुम्हारा होना,
संबल मेरे लिए।
अभ्यर्थना है परम पिता से,
मिलूं तुमसे हर जन्म में,
पुत्री बन कर तुम्हारी।
आकांक्षा मेरी यही, पिता मेरे।
(मेधा झा)

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