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Thursday, June 12, 2025

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Operation Sindoor: जानिये कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को

Operation Sindoor के दौरान परिचय मिला दुनिया को दो भारतीय महिला सैन्य अधिकारीयों का जिन्होंने विश्व में सशक्त भारतीय नारी का नया परिचय बन कर प्रतिष्ठित हुई हैं..

ऑपरेशन सिंदूर पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने भारतीय सैन्य नेतृत्व का चेहरा बनीं कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की मौजूदगी केवल सैन्य संवाद की एक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक सोच में आए महत्वपूर्ण परिवर्तन और राष्ट्रीय सुरक्षा में महिलाओं की सशक्त भागीदारी का प्रतीक है।

पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकवाद-समर्थित ठिकानों पर भारत के हालिया सर्जिकल स्ट्राइक उच्च-स्तरीय खुफिया जानकारियों पर आधारित थे। वरिष्ठ आतंकवाद निरोधक अधिकारियों के अनुसार, इन ठिकानों से भारत के अंदर सक्रिय रूप से आतंकी गतिविधियों को समर्थन मिल रहा था।

एक ऐतिहासिक क्षण, समावेशी नेतृत्व की मिसाल

भारतीय सशस्त्र बलों के लिए यह एक निर्णायक क्षण था जब कर्नल सोफिया कुरैशी (भारतीय सेना) और विंग कमांडर व्योमिका सिंह (भारतीय वायुसेना) ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ मिलकर ऑपरेशन सिंदूर के उद्देश्यों और परिणामों को लेकर वैश्विक मीडिया को जानकारी दी। यह क्षण केवल सैन्य कुशलता का नहीं, बल्कि नेतृत्व में विविधता और समावेशन की नई परिभाषा का भी प्रतिनिधित्व करता है।

ऑपरेशन सिंदूर: सोच-समझकर दिया गया जवाब

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान जाने के बाद भारत द्वारा की गई यह जवाबी कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के रूप में सामने आई। इस अभियान का उद्देश्य पाकिस्तान और PoK में फैले आतंकी ढांचे को निशाना बनाना था। इस सैन्य प्रतिक्रिया और उसकी पारदर्शी जानकारी देने की रणनीति ने भारत की रक्षा नीति में सटीकता, जवाबदेही और आत्मविश्वास को रेखांकित किया।

कर्नल सोफिया कुरैशी: वर्दी में नेतृत्व की नई पहचान

35 वर्षीय कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की सिग्नल कोर से हैं और सैन्य संचार के क्षेत्र में अनेक बाधाओं को तोड़ते हुए अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने पुणे में आयोजित बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘फोर्स 18’ में भारत की 40 सदस्यीय टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए पहली भारतीय महिला अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त किया।

बायोकैमिस्ट्री में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के कांगो मिशन में सेवा देते हुए अंतरराष्ट्रीय शांति अभियानों में भी योगदान दिया है। उनका सैन्य पृष्ठभूमि से गहरा संबंध है—जहां उनके दादा सेना में कार्यरत थे और उनके पति मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री में सेवारत हैं।

उनकी भूमिका केवल एक औपचारिक उपस्थिति नहीं, बल्कि भारत की बदलती सैन्य नीति में एक नई, आधुनिक और समावेशी सोच का प्रतिनिधित्व करती है। एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी के अनुसार, “वे भारतीय सेना की आज की तेज़, रणनीतिक और दूरदर्शी सोच की प्रतीक हैं।”

विंग कमांडर व्योमिका सिंह: आकाश की महारथी, संवाद की सूत्रधार

विंग कमांडर व्योमिका सिंह की इस वैश्विक ब्रीफिंग में मौजूदगी ने यह साफ़ कर दिया कि भारत की रक्षा संचार प्रणाली में महिलाएं अब नेतृत्वकारी भूमिका निभा रही हैं। उनके नाम ‘व्योमिका’ का अर्थ ही है “आकाश में रहने वाली,” जो उनके जीवन और करियर दोनों के लिए उपयुक्त प्रतीक है।

एक अनुभवी हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत के दुर्गम क्षेत्रों में चेतक और चीता जैसे विमानों के साथ 2,500 घंटे से अधिक उड़ान भरकर असाधारण साहस का परिचय दिया है। 2004 में वे 21वीं एसएससी (महिला) फ्लाइंग पायलट कोर्स से कमीशन प्राप्त कर वायुसेना में शामिल हुईं और 2019 में उन्हें स्थायी कमीशन प्रदान किया गया—जो उनकी उत्कृष्ट सेवा का प्रमाण है।

उन्होंने कई बड़े बचाव अभियानों का नेतृत्व किया है, विशेषकर 2020 में अरुणाचल प्रदेश में आई आपदा के दौरान। 2021 में, उन्होंने 21,650 फीट ऊंचे माउंट मनिरंग की चढ़ाई एक ऑल-वूमन ट्राई-सर्विसेज़ अभियान के साथ की, जिससे उनकी बहुमुखी प्रतिभा और मानसिक दृढ़ता का प्रमाण मिला।

वीरता की दो आवाज़ें

कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की संयुक्त उपस्थिति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के बढ़ते आत्मविश्वास और विकसित सैन्य दृष्टिकोण का प्रतीक माना जा रहा है। यह क्षण केवल महिलाओं की उपलब्धियों का नहीं, बल्कि भारतीय सेना में लैंगिक समानता की ओर बढ़ते परिपक्व दृष्टिकोण का भी प्रमाण है।

जब इन दोनों अधिकारियों ने दुनिया को संबोधित किया, तब वे केवल शब्द नहीं बोल रही थीं—वे भारत के भविष्यवादी, रणनीतिक और समावेशी रक्षा नेतृत्व का चेहरा बन चुकी थीं।

बड़ी तस्वीर

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि पहलगाम में हुआ आतंकी हमला ‘रेज़िस्टेंस फ्रंट’ नामक संगठन द्वारा अंजाम दिया गया था, जो लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि खुफिया जानकारियाँ पाकिस्तान की सीधी संलिप्तता की पुष्टि करती हैं। मिस्री ने कहा, “वैश्विक दबाव और ठोस साक्ष्यों के बावजूद पाकिस्तान अब भी आतंकवादियों को पनाह दे रहा है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस हमले का उद्देश्य भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलाना और अस्थिरता पैदा करना था—जो एक बड़ी साजिश का हिस्सा है।

(अंजू डोकनिया)

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