(Poetry)
मैं तुम्हें इसलिए नहीं चाहती कि तुम अलग दिखते हो,
बल्कि इसलिए कि तुम्हारे पास वो सुकून है
जो शब्दों से नहीं…
सिर्फ एहसास से महसूस होता है।
तुम्हारा होना,
मेरे लिए किसी आरामगाह की तरह है
जहाँ थक कर लौट आने की इजाज़त है,
बिना कुछ कहे, सिर्फ महसूस करके।
तुम दूर हो या पास
ये कभी फ़र्क नहीं पड़ा मुझे।
जो बात मुझे बाँधती है तुमसे,
वो तुम्हारी वो आदत है
जो बिना मिले भी
मेरे मन को छू लेना जानती है।
तुम्हारी खामोशियाँ भी
मेरे भीतर की हलचल को शांत कर देती हैं।
जब तुम पूछते हो — “कैसी हो?”
तो वो केवल एक सवाल नहीं होता…
वो जैसे कोई छांव होती है
जो एक सूखी आत्मा पर गिरती है
और उसे भीगने की इजाज़त देती है।
मुझे कभी ज़रूरत नहीं पड़ी
तुम्हें पाने की, छूने की…
क्योंकि तुम्हें सोच भर लेना
मेरे लिए प्रार्थना जैसा हो गया है।
मेरे लिए प्रेम, अधिकार नहीं…
एक ऐसी उपस्थिति है
जो हर वक़्त साथ होती है,
बिना आवाज़ किए।
तुम्हारा होना,
मेरे भीतर एक धीमी रौशनी की तरह है
जो बुझती नहीं,
बस हल्के से जलती रहती है…
हर उस रात में
जब मैं खुद से भी कुछ नहीं कह पाती।
शायद मेरा इश्क़ इतना गहरा है
कि तुम्हें पाना अब मेरी मंज़िल नहीं रही
तुम्हारा एहसास ही
मुझे मुकम्मल कर देता है।
(कमला रानी सिंह)