पिता के बिना बच्चों की जिंदगी अधूरी है। कहा जाता है कि पिता उस पेड़ की तरह हैं, जिसकी छाँव में पूरा परिवार सुरक्षित महसूस करता है। आज फादर्स डे पर अपना अनुभव जो पापा के लिए है ज़रूर शेयर करना चाहुंगी।
..किसने कहा पापा आप चले गए ? आप यहीं तो हैं हम सब के बीच..
याद आता है मुझे वो वक़्त जब हम पहुचे थे आपके पास वो धुंधलाई सी आँखें जिसमे दिख रहीं थीं बेशुमार खुशियां छलक रहा था ढेरों प्यार आपका उमड़ता वात्सल्य अपने बच्चों पर। हस्पताल से आकर बहुत कमज़ोर हो गए थे आप फिर भी अपने पॉजिटिव वाइब्रेशन से हमलोगों को ताकत दे रहे थे अपने छलकते जज़्बात पर काबू पाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे।
ये मान चुके थे कि आपकी जीवन यात्रा बस यहीं तक थी। जीवन का सबसे खुशनसीब इंसान खुद को बता रहे थे क्योंकि आपकी सारी ख्वाहिशें आशाएं पूरी हो चुकी थीं बच्चों के प्रति आपका कर्तव्य भी पूर्ण हो चूका था और आप हमें भी सहानुभूति दे रहे थे कि
”बेटा अब मेरा जीवन काल पूरा हो गया घिसट-घिसट कर नही जी सकता मोह माया छोड़ो मेरी जहां भी रहूँगा तुम सबके साथ रहूँगा.. तुम सबको तुम्हारी अम्मा के साथ देखूंगा..आशीर्वचनों से फलीभूत करता रहूँगा.. कहीं नही जा रहा हूँ।”
कभी तुमसब अकेला न समझना खुद को कैसे इतना सब समझ गए थे आप इतनी हिम्मत से आपने अपनी ज़िंदगी को भरपूर जिया और अंत समय का भी सामना इतनी हिम्मत से कैसे किया पापा आपने। भगवान ने आपको पता नही किस मिट्टी से गढ़ा था पापा आप हमसब के सपनो में रगों में हर सुबह में कड़ कड़ में विद्यमान हैं।
ऋतु की ममता में कीर्ति की शक्ति में शिप्रा की भक्ति में प्रीति के बेशुमार निश्छल प्यार और स्वस्ति की मुस्कान में आप सदा विराजमान हैं। ब्रजेश(भाई) के आदर्शों में भाभी की सेवा और प्यार में झलकता है आपका साथ कौन कहता है आप हमसे दूर चले गए आप यही हैं सदैव हम सबके साथ।
आपने सच कहा था आप आलोकपुरुष बन के हमसब का मार्गदर्शन करेंगे आप वो आलोकपुरुष बन गए हैं, पापा !..