Poetry By Dr. Menka Tripathi:प्राण वायु है कविता
भीतर से घुट जाती है
जब भी जुबान मेरी
नथुनों से हुंकार भरी
प्राण वायु है कविता
जितनी बकर लपर
अनर्गल है भावना मेरी
उतनी ही प्रासंगिक प्रमुख
विचार है कविता
लाखो ख्यालों की
बेमकसद भीड़ में
रोती हुई विधवा नहीं
सुहाग सौभाग्य है कविता
मौत से पहले, भुला न सके
क्या है शब्दों की कीमत
जता सकती है कविता
हाँ बोलना बंद कर दिया है मैंने
लिख कर जता रही है कविता
विश्व कविता दिवस पर शुभकामनाएं
(डॉ मेनका त्रिपाठी)