World Poetry Day !!-तुम हर लो मेरा तम!!
तुम हर लो मेरा तम !
दीप हो तुम तुम हो गौतम
तुम हर लो मेरा तम !
दिव्य प्रकाश उर्जा-स्त्रोत पथ
करता है जो रौशन
होअहम दमन
रहे पूर्ण भाव-समर्पण
तुम हर लो मेरा तम!
मैं शशधर तुम शांत धरा
दिनकर तुम मैं तारा
मेरे उर के राम तुम
स्पंदन में वास तुम्हारा
मन हो दर्पन-सा निर्मल
हृदय भाव हो चंदन
तुम हर लो मेरा तम !
अवगुंठन अज्ञान का
लुंठन हुआ हमारा
कंठ का हलाहल भी हुआ
अमृत-रस की धारा
पुष्प मैं कानन का तुम हो
वसंत उपवन
तुम हर लो मेरा तम !
तुम हर लो मेरा तम !
शशधर-चंद्रमा
दिनकर-सूरज
उर -हृदय
स्पंदन-हृदय की धड़कन
अवगुंठन-घूँघट
लुंठन -चुराना
कानन-जंगल,वन
.(अंजू डोकानिया)