Women’s Sex Drive: क्या बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं की सेक्स-ड्राइव बदल जाती है? जानिए डॉक्टरों और रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स की पूरी राय..
मां बनना किसी भी महिला के जीवन का सबसे बड़ा बदलाव होता है। इस परिवर्तन के साथ शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर कई नए अनुभव जुड़े होते हैं। ऐसे में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या मातृत्व के बाद महिलाओं की यौन इच्छा कम हो जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति असामान्य नहीं, बल्कि पूरी तरह स्वाभाविक है और इसके पीछे कई ठोस कारण होते हैं।
रिलेशनशिप में सेक्स को अक्सर एक अहम तत्व माना जाता है, लेकिन जैसे ही जीवन में बड़ा बदलाव आता है -जैसे प्रेग्नेंसी और बच्चे का जन्म – तो प्राथमिकताएं, भावनाएं और शरीर की जरूरतें भी बदल जाती हैं। नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) सहित कई स्वास्थ्य संस्थानों की रिपोर्ट बताती है कि डिलीवरी के बाद महिलाओं में सेक्स की चाहत कम होना बेहद आम बात है।
ब्रिटेन की चर्चित रियलिटी टीवी पर्सनैलिटी और फिटनेस कोच होली हगान ब्लिथ ने भी इस अनुभव को सार्वजनिक रूप से साझा किया है। उन्होंने बताया कि बेटे के जन्म के बाद उनके भीतर अंतरंगता को लेकर पहले जैसा उत्साह नहीं रहा। एक पेरेंटिंग प्रोग्राम की को-होस्टिंग के दौरान उन्होंने कहा कि उस दौर में उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता था कि कोई उन्हें छू रहा है या नहीं, क्योंकि वह मानसिक रूप से बिल्कुल अलग अवस्था में थीं।
रिश्तों में गलतफहमियों की शुरुआत
होली के मुताबिक, जब भी वह अपने पति जैकब को गले लगातीं या स्नेह जतातीं, उन्हें डर लगता था कि इसे सेक्स की शुरुआत समझ लिया जाएगा, जबकि वह इसके लिए तैयार नहीं थीं। धीरे-धीरे उन्होंने अपने पति की हर पहल को दबाव की तरह महसूस करना शुरू कर दिया। हालांकि, बाद में खुलकर बातचीत करने से हालात कुछ बेहतर हुए।
उन्होंने अपने पति को साफ-साफ बताया कि शारीरिक नज़दीकी को फिलहाल आगे न बढ़ाया जाए, क्योंकि इससे उन पर मानसिक दबाव महसूस होता है। इस बातचीत से रिश्ते में आया तनाव कुछ हद तक कम हुआ, लेकिन पति के मन में यह आशंका भी घर कर गई कि कहीं वह अब आकर्षक नहीं रहे। होली ने उन्हें भरोसा दिलाया कि यह बदलाव उनके प्रेम या रिश्ते को लेकर नहीं, बल्कि उनकी मौजूदा मन:स्थिति से जुड़ा है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं
सेक्स और रिलेशनशिप थेरेपिस्ट रैचेल गोल्ड के अनुसार, अक्सर महिलाओं को यह महसूस कराया जाता है कि बच्चे के जन्म के छह महीने बाद उन्हें दोबारा सेक्स के लिए तैयार हो जाना चाहिए, जबकि यह सोच पूरी तरह सही नहीं है। हर महिला का शरीर और मन अलग तरह से रिकवर करता है।
प्रसूति और स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. जेनिफर लिंकन बताती हैं कि डिलीवरी के बाद महिला के शरीर को पूरी तरह ठीक होने में समय लगता है। गर्भाशय को अपनी पुरानी अवस्था में लौटने में करीब छह हफ्ते लगते हैं, वहीं वजाइना और पेरेनियम में लगी चोटों को भरने में भी समय लगता है। इसके अलावा हार्मोनल बदलाव भी काफी बड़े स्तर पर होते हैं।
डिलीवरी के तुरंत बाद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन तेजी से घट जाते हैं। एस्ट्रोजन की कमी के कारण वजाइनल ड्रायनेस हो सकती है, जिससे सेक्स के दौरान दर्द और असहजता महसूस होती है। डॉ. लिंकन के अनुसार, लोग आम तौर पर हार्मोनल बदलावों को मेनोपॉज से जोड़ते हैं, लेकिन असल में सबसे तीव्र बदलाव बच्चे के जन्म के आसपास होते हैं।
पुरुषों पर भी पड़ता है असर
यह समस्या केवल महिलाओं तक सीमित नहीं रहती। कई मामलों में नए पिता भी मानसिक दबाव, जिम्मेदारियों और थकान की वजह से सेक्स से दूरी बना लेते हैं। हाल ही में मां बनी फ्रैंकी नाम की महिला ने बताया कि उन्हें अपने शरीर को लेकर असहजता महसूस हो रही थी और इस दौरान उनके पार्टनर की यौन रुचि भी कम हो गई थी, जिससे उन्हें खुद को लेकर और भी अजीब लगने लगा।
थेरेपिस्ट रैचेल गोल्ड के मुताबिक, पुरुष कई बार अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाते। पिता बनने के बाद जिम्मेदारी और चिंता की भावना बढ़ जाती है, जिसका असर उनकी इच्छा पर भी पड़ सकता है। एनसीटी (नेशनल चाइल्डबर्थ ट्रस्ट) से जुड़ी फ्लेयर पार्कर कहती हैं कि पुरुषों के लिए भावनात्मक मुद्दों पर बात करना अक्सर प्राथमिकता में नहीं होता, इसलिए संवाद बेहद जरूरी हो जाता है।
मदद लेने से न हिचकें
डॉ. जेनिफर लिंकन का मानना है कि कुछ कपल्स इस बदलाव के साथ आसानी से ढल जाते हैं और जानते हैं कि समय के साथ अंतरंगता लौट आएगी, लेकिन कुछ जोड़ों के लिए यह दौर तनावपूर्ण बन सकता है। यदि यह तनाव रिश्ते को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है, तो कपल्स काउंसलिंग, सेक्स थेरेपी या किसी शारीरिक समस्या की जांच जैसी पेशेवर मदद लेना बेहद जरूरी है।
विशेषज्ञों की अहम सलाह
सेक्स की इच्छा में आई कमी को सामान्य मानना सबसे पहला और जरूरी कदम है।
शरीर को ठीक होने के लिए समय दें और खुद पर दबाव न डालें।
अपनी भावनाओं, जरूरतों और सीमाओं को पार्टनर के साथ ईमानदारी से साझा करें।
कुछ समय के लिए शारीरिक अंतरंगता को भावनात्मक जुड़ाव और नॉन-सेक्सुअल टच से बदलें।
घरेलू कामों और बच्चे की जिम्मेदारियों को मिल-बांटकर निभाएं ताकि तनाव कम हो सके।
विशेषज्ञों का साफ कहना है कि मातृत्व के बाद यौन इच्छा में बदलाव कोई बीमारी नहीं, बल्कि शरीर और मन की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। सही समझ, संवाद और जरूरत पड़ने पर पेशेवर मदद से इस दौर को रिश्ते के लिए और मजबूत बनाया जा सकता है।
(प्रस्तुति – सुमन पारिजात)



