(Poetry)
बढती उम्र
बालों में सफेदी
चेहरे पर
उम्र के निशान
हाँ हैं तो,
पर मैं , मैं बिलकुल
नहीं हूँ परेशान ।
क्योंकि
अभी तो सीखना है
बहुत कुछ
अभी अभी ही तो
शुरु हुई है ज़िन्दगी
सबसे प्यार करते
सबका ध्यान रखते
पालते पोसते
लिखाते पढ़ाते
मैं तो जैसे कहीं
खो सी गई थी ।
भूल गई थी मैं
कि मेरा भी मन है
मेरी भी दुनिया है
मेरे भी सपने है
बस याद रहे वो
जो मेरे अपने हैं
निभा दिये सब फर्ज
लेकिन जीवन में कभी
चुके नहीं रिश्तों के कर्ज़
अब अपने लिये जी लूं
आखिर मेरे अपने लिये भी
कुछ तो फर्ज़ बाकी हैं
मेरे मुझ पर ही
कुछ कर्ज़ बाकी हैं।
ज़िन्दगी की रफ्तार
बहुत तेज है
अब मुझे अपनी खुशियो से
नहीं कोई परहेज है ।
हँसना है हँसाना है
हर पल को
आखिरी पल समझ कर
बिताना है ।
मैं हूँ अपनों के
और वे सब हैं मेरे साथ
लेकिन फिर भी अब तो
माननी है दिल की बात..
(प्रस्तुति -स्वर्णजोत माहोन)



