Sujata Mishra on Web Series ‘Adolescence’:जिस खूबसूरती से वेबसरीज “एडोल्सेंस” की समीक्षा की है सुजाता ने, एक बात तो तय है कि अब आप इसे अवश्य देखेंगे..
मेरी नज़र में वेबसरीज “एडोल्सेंस” का यह सबसे सेंसिटिव, इमोशनल और हार्टब्रेकिंग दृश्य है! अपनी सहपाठी की हत्या के आरोप में बंद 13 वर्ष का जैमी मिलर और पुलिस स्टेशन उसकी मदद के लिए आई थेरेपिस्ट ब्रियोनी जिसकी।लगभग 30 –35 की दिखाई है…
इस दृश्य की विडंबना है कि जैमी अपनी थैरेपिस्ट के प्रति भी अट्रैक्ट होने लगता है! वो उसके सामने अपना आपराधिक सच कुबूलता है पर उस दौरान उसके हाव –भाव सबमें एक बड़ी उम्र के युवकों या पुरुषों की नकल है! वो अत्यधिक अग्रेसिव है और उसे लगता है कि यही उसके मर्द होने की पहचान है!
वो अपने से उम्र में दुगुने से भी बड़ी स्त्री को प्रभावित करना चाहता है, उसके सामने अपनी सेक्सुअल फेंटेसी को उजागर करता है….उसे एहसास ही नहीं कि यह स्त्री उसकी काउंसिलिंग के लिए आई है, उसे एहसास ही नहीं कि उसने किसी की हत्या कर दी है….. वो अपनी कुंठाओं और असुरक्षाओं में इतना डूबा हुआ है कि उसे होश ही नहीं कि वो किसके सामने क्या बात कर रहा है….या शायद उसे यह ही एहसास नहीं कि जो कुछ वो सोचता है,बोलता है उनका वास्तविक अर्थ और प्रभाव क्या हो सकता है!
इसी दृश्य के अंत में जैमी चिल्लाकर अपनी काउंसलर से पूछता है कि “क्या अब आप दुबारा मुझसे मिलने नहीं आओगी!क्या हम कभी नहीं मिलेंगे!क्या आपको मैं पसंद नहीं! क्या आप भी मुझे छोड़ दोगी!” उसके उग्र,अनियंत्रित, भावनात्मक रूप से बिखरे हुए व्यवहार को देख ब्रियोनी विचलित है!और ब्रियोनी की तरह बतौर दर्शक मैं भी इस दृश्य को देख भीतर तक सिहर उठी! जैमी का आचरण , उसकी मानसिकता, उसके विचार हमारे भीतर एक गहरी उदासी पैदा करते हैं! कैसे कोई मासूम सा दिखने वाला बच्चा भीतर ही भीतर इतनी कड़वाहट और उग्रता को छिपाएं हुए है!
एक 13 वर्ष के बच्चे में अपनी सेक्सुअलिटी के प्रति इतनी कुंठाएं! सुंदर लड़कियों और स्त्रियों के प्रति घृणा! कैसे उसके लिए स्त्री –पुरुष के संबंधों का केवल एक ही आधार है सेक्सुअल अट्रैक्शन! उसकी इस हालत,इस मनोस्थिति को देख ब्रियोनी विचलित है, वो समझती है कि इस बच्चे को प्यार और दुलार की जरूरत है पर विडंबना यह है कि उसके लिए प्यार शब्द का केवल एक अर्थ है!
ब्रियोनी चाहकर नहीं कह सकती उससे कि हां तुम मुझे पसंद हो,क्योंकि इस प्रश्न के पीछे जैमी का इंटेंशन कुछ और है! क्या सचमुच अब यह स्थिति आ चुकी है! क्या सचमुच हमने एक ऐसे समाज का निर्माण कर दिया है जहां भावनाएं कुछ नहीं! आपसी समझ कुछ नहीं! मानवीयता कुछ नहीं! कुछ है तो बस सेक्सुअल एट्रेक्शन!!
क्या हर रिश्ते में प्रेम और लगाव के पीछे सिर्फ सेक्स कुंठाएं हैं! तो मनुष्य कहां जाएगा! जैमी की उग्रता के आगे ब्रियोनी मन से निराश है,उदास है…ऐसे व्यक्ति की वो चाहकर भी क्या मदद कर सकती है….
जैमी के रूप में ओवन का अभिनय जबरदस्त है… आप हर दृश्य को भीतर तक महसूस करते हैं…इस दृश्य ने मुझे बेहद अशांत और विचलित कर दिया …मन में अनेक घटनाएं,अनेक दृश्य,अनेक विचार उठने लगे…थोड़ी घबराहट और बेचैनी भी बनी रही …