अदालत का माहौल अचानक शांत हो गया जब हेलेन अंदर आईं।
इक्यानवे साल की उम्र।
कद पाँच फीट से भी कम।
पहने हुए अस्पताल का गाउन, जो उनके पूरे शरीर को ढँक रहा था।
हाथ काँप रहे थे।
कलाईयों में बेड़ियाँ बँधी थीं।
देखने वाले किसी भी व्यक्ति को लगता कि वह किसी की दादी हैं — जिन्हें घर में आराम से बैठकर चाय पीनी चाहिए थी, न कि अदालत की ठंडी रोशनी में खड़ी होनी चाहिए थी।
जज मार्कस ने सामने रखी फ़ाइल खोली — “फेलोनी चोरी” लिखा था।
उन्होंने ऊपर देखा, और फिर उनकी नज़रें हेलेन से मिलीं।
दिल के भीतर कुछ हल्का सा मरोड़ उठा।
पिछले 65 सालों से, हेलेन और उनके पति जॉर्ज ने एक बेहद साधारण, शांत और ईमानदार ज़िंदगी जी थी — छोटी-छोटी दिनचर्याओं और परस्पर भरोसे से भरी।
हर सुबह हेलेन उनके लिए दिल की दवा निकालकर रखती थीं — बारह छोटी गोलियाँ, जो अँधेरे को कुछ और दिन पीछे धकेल देती थीं।
लेकिन एक दिन, बीमा की किस्त चूक जाने से सब बदल गया।
फार्मेसी में हेलेन को बताया गया कि दवा, जो पहले $50 की आती थी, अब $940 की हो गई है।
वो ठिठक गईं।
फिर बिना दवा लिए वापस लौट आईं।
घर पहुँचकर उन्होंने देखा —
जॉर्ज की साँसें अब भारी हो गई थीं,
हाथ ढीला पड़ गया था,
और ज़िंदगी जैसे धीरे-धीरे फिसल रही थी।
तीन दिन बीते —
तीन दिन की बेबस कोशिशें,
तीन दिन की बेसहारा चुप्पी,
तीन दिन की डर और प्रेम से भरी प्रतीक्षा।
आख़िरकार, उन्होंने वही किया जो प्रेम और निराशा ने उन्हें सिखाया था।
वो फिर फार्मेसी गईं।
और जब फार्मासिस्ट पीछे मुड़ा,
तो उन्होंने गोलियों का पैकेट चुपके से अपने पर्स में रख लिया।
लेकिन वह मुश्किल से दो कदम ही बढ़ी थीं कि अलार्म बज उठा।
पुलिस आई।
थाने में उनकी ब्लड प्रेशर इतनी बढ़ गई कि तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा।
और अब — वहीं का गाउन पहने — वो अदालत में खड़ी थीं, एक अपराधी की तरह।
उनकी आवाज़ काँपी —
“मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन देखना पड़ेगा, जज साहब।”
जज मार्कस कुछ पल चुप रहे।
फिर बोले —
“बेलिफ़, इनकी बेड़ियाँ खोलो।”
लोहा खुलने की क्लिक की आवाज़ कमरे में गूँज उठी।
उन्होंने अभियोजक की तरफ़ देखा।
“फेलोनी चार्जेस? इस मामले में?”
हेलेन टूट गईं।
आँसू उनके चेहरे पर लुढ़क पड़े।
“वो साँस नहीं ले पा रहे थे,” वो सिसकते हुए बोलीं। “मुझे समझ नहीं आया क्या करूँ।”
जज की आवाज़ उठी —
ग़ुस्से में नहीं, बल्कि दर्द और करुणा से भरी हुई।
“ये औरत अपराधी नहीं है। ये हमारे सिस्टम की असफलता है।”
उन्होंने सारे आरोप तुरंत खारिज कर दिए।
फिर उठे और कहा —
“मिसेज़ मिलर से अस्पताल का एक भी पैसा नहीं लिया जाएगा। उनके पति को आज ही दवा दी जाएगी — कल नहीं, आज।”
उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ताओं और डॉक्टरों को तुरंत उनके घर भेजने का आदेश दिया।
बाद में जब रिपोर्टरों ने पूछा —
“जज साहब, आपने इतना जल्दी फ़ैसला कैसे लिया?”
उन्होंने बिना झिझके कहा —
“न्याय सिर्फ़ कानून की किताबों में नहीं होता, वह इंसानियत को पहचानने की क्षमता है।”
थोड़ा रुके, फिर बोले —
“उस औरत ने गोलियाँ नहीं चुराईं… उसने अपने पति की ज़िंदगी के लिए लड़ाई लड़ी। और प्रेम — अपराध नहीं होता।”
(रीस रायन)



