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Monday, December 15, 2025

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Story by Anju Dokania: परफेक्ट

Story by Anju Dokania: कल्पना के पन्नों पर रच दिया है जीवन का यथार्थ अंजू की कलम ने ..

राज.. मैं हमेशा यही सोचती रहती हूँ कि आपको मुझ पर इतना गुस्सा क्यों आता है?
मेरी एक छोटी-सी अनजाने में हुई भूल को ले कर आप इतने क्रोधित क्यों हो जाते हैं? बिलकुल आपे से बाहर हो जाते हैं .मैं आपको इस मुद्रा में देख कर बहुत डर जाती हूँ.

उस समय आपका चेहरा , लाल-लाल बड़ी आँखें और आपके मुँह से निकलते बाण रूपी शब्द मेरे हृदय को छलनी कर देते हैं.

मैं घबरा कर अपने उस राज को ढूँढने लगती हूँ जो विवाह पूर्व सदैव हँस कर मिलता था और कहता था कि “मुझे तुम पर कभी गुस्सा नहीं आ सकता रुक्कू क्यूँकि तुम्हारा चेहरा इतना मासूम है कि उसे देखते ही मेरा क्रोध शांत हो जाएगा.”

विवाह पश्चात आप मेरी उन छोटी-छोटी बातों को तूल देने लगे जो आपको पहले अच्छी लगती थीं परंतु पत्नी बनते ही सब कुछ बदल गया.

मेरे माता-पिता ने मुझे संस्कार देने में कोई कमी नहीं की थी.बड़ों का सम्मान , छोटों को प्यार और हमउम्र से अपनापन ये मैंने मायके में भलीभांति सीखा था.

बस एक कमी थी मुझ में अत्याचार चुप रह कर हमेशा नहीं सह पाती थी लेकिन मैंने तब भी आपका सम्मान रखा जब तुम छोटी-छोटी बातों पर मुझे उधेड़ने लगे थे. एक मिलिट्री अफसर की तरह तुम्हें हर चीज़ अपनी जगह पर चाहिए होती थी और घड़ी कपड़े-जूते , ब्रेकफास्ट , टिफिन एकदम घड़ी के काँटें के हिसाब से चाहिए होता. मजाल है जो एक मिनट भी ऊपर नीचे हो जाए.

आप नाश्ता छोड़ कर ऑफिस निकल जाते ये कहते हुए कि “साढ़े नौ बजे का वक्त है नाश्ते का और अभी नौ बज कर पैंतीस मिनट हो गए हैं . तुम लेट जो रुक्कू. अब तुम ही खा लेना इसे.”

मैं हाथों में प्लेट लिए खड़ी रह जाती थी .दिन भर इसी सोच में खाना नहीं खाती थी कि तुमने कुछ नहीं खाया. ऐसे ही एक वाक़ये के बाद मैंने आपको काम से कॉल किया ऑफिस लैंडलाइन पर (उस वक्त मोबाइल फ़ोन नहीं थे) तो पता चला आप ऑफिस colleague के साथ नाश्ता करने नीचे गए हुए हैं.

मैं दिन भर सोच-सोच कर आँसू ढुलकाती रहती थी. नाश्ता-खाना कुछ नहीं खाती थी और आप ..

पहले आपको मेरा आपसे बेबाकी से बात करना भाता था मगर अब आपको इसी बात से चिढ़ मचती थी. कहीं साथ जाने के लिए ये पूछना पड़ता था कि “ मैं भी चल सकती हूँ आपके साथ राज?”

मैंने हालातों से समझौता कर लिया और अपनी माँ को दिया वचन निभाने के लिए दिन-रात एक कर दिए. अपने आपको आपकी पसंदानुसार ढाला.

शुरुआत में अपने आपको बहुत ढाला है आपके हिसाब से लेकिन फिर भी पूरा नहीं बदल पाता कोई भी इंसान और उन कमियों के साथ ही इंसान को अपनाते हैं हम.

आप जानते हैं कि मैंने हमेशा कोशिश की है आपके हिसाब से चलने की .फिर भी कभी अनजाने में भूल हो जाए तो मैं आशा करती थी कि आप समझ जायेंगे कि मैंने जान-बूझकर नहीं किया ऐसा. भूल तो सबसे होती है और होती ही रहती है.

परंतु ऐसा कभी नहीं हुआ. बार- बार मेरी क्लास लगती थी. ऐसे बोलो, ऐसे चलो, मुँह धो कर आओ फिर से.
क्या अजायब-घर से पकड़ कर लाया गया था मुझको इस घर में?

एक सभ्य वातावरण में पली-बढ़ी independent लड़की जिसे आपने कॉलेज में देखते ही दिल दे दिया जिसकी मधुर आवाज़ और बुद्धिमता के आप कायल हुआ करते थे. संसार की सबसे सुंदर लड़की हुआ करती थी मैं आपके लिए राज.

आते ही पूरा घर,रसोई सब कुछ संभाल लिया था मैंने. आपके परिवार वाले और मित्र-मंडली मेरी प्रशंसा करते नहीं थकते थे परंतु आपसे कभी अप्रीशीऐशन नहीं मिला मुझे.

आज भी यही हुआ. एक सामान्य-सी बात पर आप इतना भड़क गए की मेरे पूरे खानदान को याद कर डाला आपने.
आप यदि मुझसे हमेशा नाराज़ रहेंगें तो मेरा और कौन है ,बताइए.
मैं परफ़ेक्ट नहीं हूँ और आप भी नहीं हैं.
शादी के इतने साल बाद ऐसा ठीक नहीं.
इतने वर्षों में तो अच्छी अंडरस्टैंडिंग बन जाती है.

आपको मेरी कोई बात बुरी लगे तो आपका दिल है तो डाँटिये या फिर प्यार से समझाइये ये आप पर छोड़ती हूँ परंतु कभी आपका दिल दुखाने का या आपका अपमान करने का नहीं सोचती लड्डू-गोपाल की सौगंध .
Once Again I Am Sorry .
मैं परफेक्ट नहीं हूँ परंतु ये सुनिश्चित आज फिर करती हूँ कि सदैव आपके साथ चलूँगी और आपकी कही हर बात का सम्मान मेरे सिर-माथे पर होगा.बस जो भी कहना मगर प्यार से राज…..

(अंजू डोकानिया)

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