बात कई वर्ष पहले की है!हमारा तबादला एक मझोले शहर मे हो गया था! घर अच्छा मिल गया था!
कालोनी वासीयों से पता लगा कि एक लडका दुध देने आता है उस कानाम छोटे लाल था सब उसे छोटू ही बोलते थे,!हमारे यंहा भी वही दूध देने आने लगा!
छोटू 12 ,13 साल का था!
सर्दी हेो, गर्मी हो या बरसात वह बिना नागा के ठीक सुबह 8 बजे मेरे दरवाज़े पर आ जाता!रोज , रोज देखने से एक अपनापन हो गया उससे! कभी कभी मै चाय बना देतीथी !
बात ही बात मे उसने बताया कि बह पास ही के एक गाँव से आता है जो हाइवे से 10 km अंदर कच्ची सड़क पर है, 5,6 गाय भैंस हैं उन्हीं का दूध बेच कर घर का खर्च चलता है ,पिताजी बीमार रहते हैं मॉं सब्ज़ी बेचती है! एक बड़ी बहन है उसकी शादी करनी है , छोटी बहन को पढ़ाना है!
‘दीदी, आपके बच्चे नही दिखते’ – उसने पूछा
मैने कहा – ‘है ना, दो बच्चेे हैं, जब तू आता है तो वे स्कूल चले जाते शनिवार , रविवार को सोए रहते हैं’ मैने झेपते हुए कहा! – ;तुम्हारी उम्र के ही है!’
‘दीदी मै तो अनपढ़ हूँ पर बहन को पढ़ाना चाहता हूँ! छोटे से बच्चे ने कितनी ज़िम्मेदारी ले रखी हैं! छोटू बहुत मेहनती बच्चा था!’
कुछ दिनों बाद वह अपनी बहन की शादी की निमंत्रण पत्रिका लेकर आया – ‘शादी में ज़रूर आना दीदी , हम तो छोटे लोग है पर आप लोग आंयेगे तो ख़ुशी होगी!; – मैंने कहा ज़रूर आयेंगे!
नियत तिथि पर मैने पतिदेव से कहा तो यही सुनना पड़ा -पागल होगयी हो एक दूध वाले के यहाँ जांयेगे? नहीं!
खैर, जैसे-तैसे मनाया साहब को, हम बच्चों के साथ कार मे चल पडे, कच्ची सड़क गड्डे ही गड्डे..साहब का बड़बड़ाना चालू था पर मैं सोच रही थी वह बच्चा छोटू भाी तो साईकल से रोज इसी सड़क से आता है दूध देने, बेचारा!
छोटू दूर से ही देखकर दौडा आया!
छोटा सा कच्चा मकान आंगन मे मंडप सजा था !सब हमारी आवभगत मे लग गये !हमारे लिये टेबल कुर्सी लगायी गयी, पंगत लगी हुई थी!
आदर से भोजन कराया सभी लोग हमको , घेरे खडे थे, बडे मान मनोवल से खिलाया,शहर की बड़ी बड़ी होटलो की शादी पार्टी याद आ गयी जंहा कोई पूछता भी नहीं खाया या नहीं!खाओ ओर जाओ!
भोजन मे गिनती के आईटम पर बेहद स्वाद!याद आ गये वे पार्टी के बुफे.. 60 या70 ड्राइफ्रूट्स से भरे कई व्यंजन..जो खाये कम ओर फेंके ज़्यादा जाते!
बहुत अपनापन से सबने विदा किया !हम तो गदगद हो गये!
छोटे लोग दिल से बडे होते हैं, दिखावा नहीं करते !
आज भी मैं किसी की शादी पार्टी मे जाती हूँ तो छोटू की बहन की शादी याद आ जाती है!
(पिर्तपाल कौर)



