शेफाली वर्मा ने शुरुआत वहां से की जहाँ पर लोग सपने छोड़ जाते हैं!
फ़ाइनल मैच के दौरान दो तेज़ विकेट लेकर टीम इंडिया का पलड़ा भारी कर देने वाली शेफाली वर्मा आज पूरे देश का गर्व बन चुकी हैं। लेकिन यह चमक, सालों की मेहनत और संघर्ष की भट्ठी से निकली है।
हरियाणा के रोहतक की गलियों से निकली शेफाली बचपन में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थीं। बेहतर ट्रेनिंग मिले, इसलिए पिता संजीव वर्मा ने उनका बॉयकट करवाया ताकि वह बिना किसी झिझक मैदान में उतर सकें।
पिता का सपना था जो वे खुद टीम इंडिया के लिए नहीं खेल सके, वो बेटी के ज़रिए पूरा करें।
आज वही बेटी, वर्ल्ड कप फाइनल में चमक रही है।
पहले ओपनिंग में 78 गेंदों पर 87 रन, जिसमें 7 चौके और 2 छक्के, स्मृति मंधाना के साथ 104 रन की साझेदारी जिसने भारत को दिलाई शानदार शुरुआत।
लेकिन वो यहीं तक नहीं रुकीं और फिर उन्होंने गेंदबाज़ी में भी कमाल दिखाया!जब हरमनप्रीत ने जब शेफाली को 21वें ओवर में गेंद थमाई, तो उन्होंने दूसरी ही गेंद पर सुने लुस को कैच आउट कर भारत को दिलाई पहली सफलता। इसके बाद फिर 23वें ओवर में मरिजाने कैप को आउट कर दूसरा विकेट लिया।
आज वो सिर्फ बल्लेबाज़ नहीं, बल्कि ऑलराउंडर स्टार बन चुकी हैं जिन्होंने प्लेयर ऑफ द मैच बनकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है! उनके खेल में पिता की मेहनत, हरियाणा की मिट्टी की ताकत, और भारत की हर उस बेटी का सपना शामिल है, जो कभी लड़कों के साथ खेलने से डरती थी।
आज पूरी दुनिया कह रही है — “यही है असली सोना, जो भट्ठी में तपकर बना है।”
(अज्ञात वीरा)



