(Seema Narang presents a ghazal by Nida Fazli)
कोई फूल धूप की पत्तियों में हरे रिबिन से बंधा हुआ
वो ग़ज़ल का लहज़ा नया नया, न कहा हुआ न सुना हुआ !
जिसे ले गयी है अभी हवा वो वरक़ था दिल की किताब का
कहीं आंसुओं से मिटा हुआ कहीं आंसुओं से लिखा हुआ !
कई मील रेत को काटकर कोई मौज फूल खिला गयी
कोई पेड़ प्यास से मर रहा है नदी के पास खड़ा हुआ !
मेरे साथ जुगनू है हमसफ़र मगर इस शरर की बिसात क्या
ये चराग कोई चराग है न जला हुआ न बुझा हुआ !
(निदा फाजली)