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Research: इंसानों की वजह से कुत्ते और बिल्लियाँ एक जैसे दिखने लगे हैं? नई रिसर्च ने खुलासे से चौंकाया

Research: क्या यह संभव है ? क्या इंसानों की वजह से कुत्ते और बिल्लियाँ एक जैसे दिखने लगे हैं? नई रिसर्च का चौंकाने वाला खुलासा..

पालतू बनाए जाने की प्रक्रिया ने जहाँ कुत्तों और बिल्लियों में विविधता लाई है, वहीं एक हैरान करने वाली बात सामने आई है — अब ये दोनों अलग-अलग प्रजातियाँ दिखने में एक जैसी होती जा रही हैं। और इसका ज़िम्मेदार कोई और नहीं, बल्कि हम इंसान ही हैं।

आप सोच सकते हैं कि पर्शियन बिल्ली और पग कुत्ते में क्या समानता हो सकती है। एक बिल्ली है, एक कुत्ता — और दोनों के बीच 5 करोड़ साल का विकासीय फासला है। लेकिन जब वैज्ञानिकों ने इनकी खोपड़ियों का 3D विश्लेषण किया, तो पता चला कि इन दोनों की खोपड़ी की बनावट बेहद मिलती-जुलती है।

कैसे हो रही है ये समानता?

विकासवाद में दो धाराएँ होती हैं — डाइवर्जेंस, जहाँ प्रजातियाँ अलग होती जाती हैं, और कन्वर्जेंस, जहाँ अलग-अलग प्रजातियाँ एक जैसी बनने लगती हैं। इंसानों द्वारा की गई चयनात्मक प्रजनन (Selective Breeding) ने बिल्लियों और कुत्तों के बीच कन्वर्जेंस को बढ़ावा दिया है।

पग और पर्शियन जैसे फ्लैट-फेस जानवरों की खोपड़ी एक जैसी दिखती है। रिसर्च में पाया गया कि पालतू जानवरों की नस्लों में खोपड़ी की बनावट अब इतनी विविध हो गई है कि कुछ बिल्लियाँ कुत्तों जैसी और कुछ कुत्ते बिल्लियों जैसे दिखने लगे हैं — या तो लंबे चेहरे वाले या चपटे चेहरे वाले।

क्यों कर रहे हैं इंसान ऐसा चयन?

हमें गोल चेहरे, बड़ी आँखें और छोटी नाक वाले चेहरों की ओर सहज ही आकर्षण होता है — क्योंकि ये हमें बच्चों की याद दिलाते हैं। यही वजह है कि हम फ्लैट-फेस जानवरों को पसंद करते हैं। पर हमारी यह पसंद उनके लिए खतरनाक साबित हो रही है।

जैसे मुर्गियों को ज़्यादा मांस देने के लिए इतना बड़ा सीना दे दिया गया है कि उनके दिल और फेफड़े दबाव में आ जाते हैं — वैसे ही पग और पर्शियन जैसी नस्लों को सुंदर बनाने के चक्कर में साँस लेने और जन्म संबंधी समस्याएँ होने लगी हैं।

UK की चेतावनी: समय रहते नहीं चेते, तो नुकसान होगा

UK की Animal Welfare Committee ने 2024 की रिपोर्ट में कहा कि यदि हमने चयनात्मक प्रजनन पर रोक नहीं लगाई, तो कई नस्लें गंभीर और असाध्य बीमारियों से जूझती रहेंगी। समिति ने ऐसे जानवरों को ब्रीडिंग से बाहर करने और कड़े नियम बनाने की सलाह दी है।

सीखा क्या हमने?

कुछ ही दशकों में हमने लाखों वर्षों के विकास को बदल डाला — और जानवरों को इस हद तक रूपांतरित कर दिया कि वे अब हमारी पसंद के अनुसार ढलते जा रहे हैं, भले ही उनकी सेहत इसकी कीमत चुकाए। इंसानों की पसंद ने जानवरों को एक जैसे तो बना दिया है, लेकिन दर्द भी एक जैसा दे दिया है।

(अंजू डोकानिया)

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