हिन्दी के विकास के लिए दृढ़ संकल्पित ‘ हिन्दी सेवा समूह ने धर्मनगरी हरिद्वार में संगोष्ठी का आयोजन किया।
इस साहित्य संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ० सुशील त्यागी (हिन्दी प्राध्यापक, ऋषिकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर) ने की वहीं संयोजन का दायित्व डॉ० पुष्पा वर्मा(पूर्व उपनिदेशक : शिक्षा, उत्तराखण्ड) ने निर्वहन किया. समारोह का संचालन का कार्य डॉ० अशोक गिरि ( संस्थापक : श्रवण सेवा एवं शोध संस्थान) ने किया।
संगोष्ठी का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन तथा वृन्दा शर्मा की सरस्वती वन्दना से हुआ। संगोष्ठी में हिन्दी की मानक वर्तनी एवं उच्चारण पर चर्चा हुई तथा अपनी बात को केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय तक पहुंचाने के लिए सहमति बनी। साथ ही आगामी हिन्दी दिवस (14 सितम्बर) पर हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए, प्रधान मंत्री और गृह मंत्री को जिला अधिकारी के माध्यम से ज्ञापन देने का प्रस्ताव पारित हुआ।
इस विषय पर भी परस्पर चर्चा हुई कि साहित्यकार को अच्छा लेखन करने के साथ -साथ अच्छा व्यक्ति भी होना चाहिए। संगोष्ठी में काव्य- पाठ भी हुआ जिसमें सर्वप्रथम दीन दयाल दीक्षित ने मल्हार गाकर सबका मन प्रफुल्लित कर दिया। डॉ० मीरा भारद्वाज ने अपनी कविता के माध्यम से हिन्दी के सभी क्षेत्रों में प्रयोग पर बल दिया।
सुश्री अपराजिता ने अपनी ओजस्वी कविता के माध्यम से युवतियों को नि:संकोच आगे बढ़ने का सन्देश दिया। श्री अरुण पाठक ने अपने श्रृंगारिक गीत को मधुर कण्ठ से गाकर सबका मन मोह लिया। डॉ० पुष्पा वर्मा ने अपनी कविता के माध्यम से सड़कों तथा स्टेशनों आदि पर भीख मांगते बच्चों की दुर्दशा पर अपनी मार्मिक रचना प्रस्तुत की।
सुश्री कवीशा ने स्वास्थ के प्रति सजगता तथा नई पीढ़ी के वैचारिक परिवर्तन का समर्थन करती हुई रचनाएं पढ़ीं। डॉ० सुशील त्यागी, डॉ० मेनका त्रिपाठी,श्रीमती नीता नैय्यर,श्रीमती राजकुमारी ,वृन्दा शर्मा तथा डॉ०अशोक गिरि की रचनाएं भी राष्ट्र समाज एवं हिन्दी को समर्पित थीं।
अन्त में श्री प्रमोद वर्मा ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में भी इस तरह की संगोष्ठी आयोजित करने की बात कही।