यह हैं रंजनी श्रीनिवासन जो अमेरिका से भारत आ रही हैं। हाथ में एक भारी सूटकेस, चेहरे पर हल्की मायूसी, और मन में एक ग़लतफ़हमी का टूटना—सब एक साथ हो रहा है।
दरअसल, रंजनी को लगा था कि जिस “आज़ादी” का मज़ा भारत में मिलता है, वही अमेरिका में भी मिलेगा। भारत में तो कोई भी बेधड़क हिंदुओं को कोस सकता है, ब्राह्मणों को गाली दे सकता है, “मोदी तेरी कब्र खुदेगी” के नारे लगा सकता है, और फिर राहुल गांधी से इनाम के तौर पर कोई अच्छी पोस्ट भी पा सकता है। उन्हें लगा कि अमेरिका में भी यही सब मुमकिन होगा।
बस यही भूल उनके करियर पर भारी पड़ गई।
रंजनी श्रीनिवासन कोई आम छात्रा नहीं थीं। वह कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अर्बन प्लानिंग में पीएचडी कर रही थीं। फ़ुलब्राइट स्कॉलरशिप की विजेता थीं, हार्वर्ड से डिज़ाइन में मास्टर्स कर चुकी थीं, और भारत के प्रतिष्ठित CEPT यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई कर चुकी थीं। लेकिन शिक्षा और बुद्धिमत्ता में फर्क होता है, और रंजनी यह फर्क समझने में चूक गईं।भूल कहाँ हुई?
7 अक्टूबर को दुनिया भर में प्रतिक्रियाएँ आईं मिडिलईस्ट में हुई घटनाओं पर. लेकिन रंजनी ने कुछ नहीं देखा।
जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने विरोधी हिंसक प्रदर्शन आयोजित किया, तो रंजनी उसमें बढ़-चढ़कर शामिल हो गईं। उन्होंने हैमिल्टन हॉल पर कब्जा कर लिया, दीवारों पर नारे लिखे, और सोचा कि यह भी “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” का हिस्सा है।
लेकिन अमेरिका भारत नहीं है।
फिर अमेरिका में सरकार बदली। POTUS Donald J. Trump #45 & #47 , ट्रंप वापस आए और उन्होंने कहा, “हम अपने #विश्वविद्यालयों को #कट्टरपंथियों की #पाठशाला नहीं बनने देंगे।”
नतीजा? #कोलंबियायूनिवर्सिटी की 50 करोड़ डॉलर की फंडिंग रोक दी गई। आंदोलनकारी गिरफ्तार हुआ, और विदेशी छात्रों को दो विकल्प दिए गए—या तो खुद #अमेरिका छोड़कर चले जाएँ (#सेल्फ_डीपोर्ट), या फिर कानूनी कार्रवाई का सामना करें।
#अमेरिकी सरकार ने तो इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक “सेल्फ-डीपोर्ट ऐप” तक बना दिया! अब कौन केस लड़े, जेल जाए? #रंजनी और उनके जैसे 40 #विदेशी_छात्र चुपचाप अपना सूटकेस उठाए और अमेरिका को अलविदा कहकर अपने-अपने देश निकल लिए।
और अब?
#दिल्ली_एयरपोर्ट पर उतरते ही रंजनी बड़बड़ाती सुनी गईं—”भाई, जितनी भौंकने की आज़ादी #भारत में है, उतनी कहीं नहीं!”
तो #लिबरलिज़्म और #एक्टिविज़्म की यह पाठशाला यहीं खत्म हुई। अब देखना यह होगा कि भारत लौटकर वे किस नई “#क्रांति” की तैयारी करेंगी!
(प्रस्तुति: अज्ञातिका)