Priyambada Saxena की कलम से पढ़िये ये वन मिनट रीड जो एक दुर्भाग्यपूर्ण सत्य है स्वतंत्र भारत का..
अभी तक कांग्रेस की सरकारे गुलामी के समय के कानूनों को क्यों गले से लगाये रही लम्बे समय तक तो कांग्रेस ही रही और अब जो सरकारें हैं जहां जहां है सरकारे हिंदू मंदिर के साथ भेदभाव क्यों कर रही हैं.
स्वतंत्रता के बाद भी गुलामी के कानूनों को क्यों चला रही है हिंदुओं के ट्रस्ट के साथ दोगला व्यवहार क्यों ? कब तक हम गुलामी के समय के कानून का बोझ ढोयेगे?
अंग्रेज तो इस लिए करते थे सोतेला व्यवहार कि उन्हें फूट डालकर देश लूटना था गुलाम बनाकर रखना था अधिक समय तक शासन करना था अब हम आजाद हैं तो एक जैसा कानून क्यों नहीं ?
क्या यही है स्वतंत्र भारत के संविधान की समानता का अधिकार ? मंदिरो के ट्रस्ट सरकारी नियंत्रण से मुक्त कब होंगे राम मंदिर के हजारों साल पहले के डाक्यूमेंट्स मिल सकते है और डाक्यूमेंट्स मांगे जा सकते हैं तो दूसरे ट्रस्टो के क्यों नहीं मिल सकते ?
क्यों नहीं मांगे जा सकते त्रिरुपति मंदिर आंध्र प्रदेश का अध्यक्ष इसाई कैसे बनाया जा रहा था कांग्रेस के समय से हिंदू मंदिर और मठ सरकार के नियंत्रण से मुक्त की मांग कर रहे पर कोई नहीं सुनता अब सेक्युलर पागल पत्रकारो का कत्थक नाच कब शुरू होगा जो हिंदुओं के धर्म पर बौखलाकर कांव कांव करने लगते सब पागलों की तरह एक साथ मिलकर?
(प्रियंवदा सक्सेना)