Preeti Saxena की कलम से प्रवाहमयी हुई उनके पुत्र प्रियांश के जन्मदिवस पर स्नेह की अविरल गंगा..
लगता है अभी कुछ दिन पहले की ही बात हो जब मैं कानपुर मरियमपुर हॉस्पिटल में एडमिट थी और तुम मुझे मिले थे जब नर्स ने तुम्हें मेरे गोद में दिया मुझे ऐसा लगा खजाना मिल गया मातृत्व क्या होता है तुम्हें सामने देख कर पता चला।
जो अहसास तुम्हें देख कर हुआ बताना नामुमकिन है बस आंखों से अविरल धारा फूट पड़ी शायद ये खुशी के आंसू या मातृत्व के गौरव के अहसास कह सकते हैं। उसके बाद बड़े होते गए तुम्हारी चंचलता और शरारतों से ही दिन कब शुरू होता कब खत्म होता पता ही नहीं चला।
आज तुम 24 साल के हो गए लेकिन साथ में नखरे रुआब के धनी हो गए हो बाकी कुछ नहीं बदला बिल्कुल वैसे ही हो ऊपर से सख्त अन्दर से मोम जैसे। कहना अजीब है लेकिन सच यही है तुम मेरे और पापा की सबसे बड़ी खुशी और ताक़त हो, हमारी उम्मीदों का सबसे बड़ा सच हो, बेटा।
तुम हमेशा मुस्कुराते रहो और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाओ, तुम्हारी हर इक्षा पूरी हो और जो राह चुनो वो आसान हो यही कामना है। तुम्हारे जन्मदिन तुम्हारे जन्म की तरह हो शानदार हो, अविस्मरणीय हो और आशाओं से भरा हुआ हो।
मामा मामी और मासियों के लाडले हो और भाई बहनों के चहेते अपने फर्ज़ से कभी पीछे मत हटना बेटा सारे रिश्ते सच्चाई और ईमानदारी से निभाना। अभय तुम्हारी छत्रछाया में पल्लवित हो रहे हैं सदैव उनके प्रेरणाश्रोत बनना ऐसा काम करना जिससे उसे कुछ अच्छा सीखने को मिले तुम उसके रोलमॉडल बनो। हम हैं हमेशा तुम्हारे शुभचिंतक तुम्हारे मां पापा !