(Poetry)
मुझे मेरे जैसे
शरारती दोस्त चाहिए
समझदारों से
मेरी निभती ही नहीं..
बनावटी लोगों से
मेरी पटती ही नहीं..
दिमाग से चलने वाले
से दोस्ती चलती नही..
थोड़े नादान दोस्त चाहिए..
जो करते रहते हों
थोड़ी बेवकूफियाँ
और गलतियाँ..
थोड़ी नोंक-झोंक
और बदमाशियाँ!..
जो टाँगें मेरी खींचें,
मुझे हवा में ना उड़ने दें..
लेकिन कभी भी
जमीं पर ना बिखरने दें..
जो मेरे दिल की
बात सुने दिल खोलकर
और अपने दिल की
बातें भी मुझे सुना दे जी भरके..
जो मेरे जज़्बातों को
बिना कहे समझ ले..
मुझे दिल के अनमोल
दोस्त चाहिए..
जिसके सामने
होंठों की हँसी रुके ही नहीं
और दुख मेरे
कभी भी टिके ही नहीं..
उम्र की लकीरें
जो मेरे जेहन से मिटा दे
मुझे मेरे ऐसे..
बेफिक्री से जीने वाले
जिन्दादिल दोस्त चाहिए..
(प्रस्तुति- सीमा नारंग)