(POETRY)
सुनो…
मैंने तुमसे
चाँद माँगा कब ?
अपनी उजली हँसी
रहने दो….
बहुत है मेरे लिए…
बादलों से
घटाओं से
हवाओं से मुझे क्या लेना…
तुम जो आओ तो
मौसम को सँवरना ही है…
(सुनीता सामंत)