Poetry by Suman Parijat: ज़िन्दगी भी एक कविता है जिसमें हर रोज नई पंक्तियाँ जुड़ती हैं..प्रायः वो उनके लिये होती हैं जो लोग ज़िन्दगी का हिस्सा बन गये हैं..
एक नदिया है तेरे नैनों में
मैं जहां रोज़ डूब जाता हूँ !!
मुझसे मिलना कभी ख्यालों में
अपनी दुनिया तुम्हें दिखाता हूँ !!
मैं तुम्हे चाहने की कोशिश में
खुद को कितना उदास पाता हूँ !!
तुम किसी अश्क सी ढलकती हो
मैं किसी दिल सा टूट जाता हूँ !!
कुछ कहाँ मिलता है चाहने से
बस यही बात भूल जाता हूँ !!
अपने हिस्से में तेरे किस्से के
अपना चेहरा मैं क्यूँ छुपाता हूँ !!
जो झूठ नहीं पर सच भी नहीं
ख्वाब आँखों को वो दिखाता हूँ !!
गा सका कभी न खुद जिसको
वो ग़ज़ल ज़िन्दगी को सुनाता हूँ !!
एक नदिया है तेरे नैनों में
मैं जहां रोज़ डूब जाता हूँ !!
(त्रिपाठी पारिजात)



