Poetry by Samiksha Singh: ध्यान से समझिए ..आधार आपका अधिकार है, इससे ही पहचान करें..जागृत रहें, संगठित रहें, सुरक्षित रहें..
मेरी गली में कुत्ता भौंका
मैंने सोचा जाने दो
मेरी गली में दो कुत्ते भौंके
मैंने सोचा आने दो !
फिर बाहर से कुत्ते आए
बोले सारी की सारी है
और जहाँ पर रहते हो तुम
ये पूरी गली हमारी है !
फिर कुत्तों ने बोर्ड बनाया
गली में नोटिस भी चिपकाया
जहां तलक दिखेंगे कुत्ते
वहां तलक अधिकार बताया !
कुत्ते सड़क पे ही भौकेंगे
कुत्ते सड़क पे ही लेटेंगे
जनसँख्या है बहुत बढ़ चुकी
कुत्ते सड़क पे ही लोटेंगे !
फिर मैं समझी अति हो गई
सब कुत्तों की मति सो गई
मैं केवल सब देख रही थी
इसीलिए ये गति हो गई !
फिर हिम्मत को किया इकट्ठा
और मैं लाठी लाई निकाल
जब पिटने का नंबर आया
तब कुत्तों में मचा बवाल !
एक कुत्ते को डंडा मारा
चार भगे और दो चिल्लाए
दो डंडे जब मारे मैंने
तब जाकर कुत्ते घबराये !
तीजे डंडे में सब भागे
चौथे में मजबूर हुए
और हमारी गली सुरक्षित
सारे कुत्ते दूर हुए !
कई तरह के कुत्ते हैं
सबकी सोच फितूरी है
हर कुत्ते के मन में कोई
चाहत बची अधूरी है !
तो जब तक कुत्ते हैं इस जग में
तब तक अपनी मजबूरी है
अपनी गली बचानी है तो
लाठी बहुत जरूरी है !
(समीक्षा सिंह)



