Poetry: पल्लवी विनोद की कलम से पढ़िये एक अर्थपूर्ण कविता प्रेम के नायक पर..
“मेरे लिए दुनिया का अर्थ तुम हो”
प्रेम में डूबा पुरुष मेरी कहानियों का नायक है
मैं नहीं गढ़ती ऐसा पुरुष
जो अपनी प्रेयसी के लिए दुनिया से लड़ जाए
जो आगे आगे चले कि प्रेमिका किसी की नज़र में ना आए
मेरा नायक प्रेयसी का हाथ पकड़ साथ चलता है
कहता है
“मेरे लिए दुनिया का अर्थ तुम हो”
किसी संकरे रास्ते पर उसके पीछे हो
थामे रहता है उसका हाथ
कहता नहीं जताता है अपना साथ
वो जानता है लड़कियों की पीठ में भी होती हैं दो आँखें
उन आँखों को चूमता नायक
जानता है रसोई के ताप को
कम कैसे किया जाता है
क्लॉस्ट्रोफ़ोबिक नायिका के लिए
खिड़कियाँ दरवाज़े खोलता नायक
परिकल्पनाओं से निकल यथार्थ में कदम रख चुका है
कहीं बच्चों को पूरी रात संभालता
कहीं बिखरी नायिका के केश बनाता
पुरुषोचित दंभ की बातें करता मेरा नायक
कहता है, “अपने पिता की विरासत नहीं चाहिए मुझे”
माँ की संदूकची में छिपे पत्र पढ़कर रोता है
लौटाना चाहता हैं माँ की सिसकती उमर
ढूँढना चाहता है ऐसा मरहम
जो उन ज़ख़्मों को भर सके
ये नायक आश्वस्ति हैं उस समाज के
जहाँ मेरी नायिकाएँ पत्थरों पर खिले फूल सी मुस्कुराएँगी।
(पल्लवी विनोद)