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Monday, December 15, 2025

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Poetry by Nivedita Rashmi: जब पूरी कायनात तुमसे रूठ जाए

Poetry by Nivedita Rashmi: जीवन का सत्य जो नारी जीवन से अधिक जुड़ता है एक चेहरा लिये हुए है निवेदिता की इस कविता में..
जब पूरी कायनात तुमसे रूठ जाए
मां के ममता का साया भी उठ जाए
जब घर वाले, घर वाले कम और
अधिवक्ता और न्यायाधीश अधिक लगें
जब तुम्हारा वजूद खोने लगे
आहिस्ता –२ तुमसे तुम्हारा स्व दूर होने लगे
जब आईना तुम्हें मुंह चिढ़ाने लगे
चेहरा भी तुमसे दामन छुड़ाने लगे
जब तुम्हारी आंखें सिर्फ़ पीर गुनगुनाने लगें
जब ज़बान भी हकलाने लगे
तुम्हारे कदम लड़खड़ाने लगें
पीठ का बोझ मुंह चिढ़ाने लगे
तुम थोड़ी देर साथ बैठना अपने
और जोड़ से पकड़ना अपने सपने
सबको अंगूठा दिखाना
अपने जिद्द को गले लगाना
और दिखना कि तुम कोई मोम की गुड़िया नहीं
तुम्हारे रगों में फौलादी रक्त बहता है
तुम विद्युत् से स्वचालित स्विच नहीं हो,
तुम खुद में ही विद्युत् हो
तुम जिलाए रखना रौशनी
कि तुम धारा हो करेंट
अंधेरा मिटाए रखना
(निवेदिता रश्मि)

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