Poetry by Nivedita Rashmi : अजब सच्चाइयाँ हैं जिन्दगी की उनमें से एक ये भी है जो निवेदिता की कलम के निशाने पर है..
घर से भागी हुईं लड़कियों
को नहीं मिलता फिर घर
औरतें जो भागती हैं घर से
फिर आजीवन महरूम रह जाती हैं
घर के दायित्व और सहूलियत से
लड़कियां हों या औरतें
घर से भागने के बाद
फिर नहीं मिलता उन्हें घर
फर्क इतना है कि
घर से भागी हुईं लड़कियां
देखती हैं कुछ काल्पनिक स्वप्न
और भागती हैं घर बसाने के लिए
घर से भागी हुईं औरतें
भागती हैं घर के संत्रास से
बचने के लिए
औरतें हों या लड़कियां
एकबार भागने के बाद
फिर दुबारा नहीं भागतीं
भागने के सारे विकल्प खत्म
(निवेदिता रश्मि, छपरा)



