Poetry by Medha Jha: पढ़िये कितनी महत्वपूर्ण है परवरिश संतान के लिये..
परवरिश
दमकता हो भाल आत्मबल से,
हृदय कचोटे किये छल से,
आ सको किसी के काम तुम,
बिना चाहे कोई परिणाम तुम,
तो परवरिश सही है तुम्हारी।
निडर खड़े हो सको अन्याय के,
संतुष्ट रहते हो अपनी आय से,
ईर्ष्या ना हो किसी की वृद्धि से
डोले नहीं मन किसी के समृद्धि से,
तो परवरिश सही है तुम्हारी।
क्षमा मांगने की शक्ति हो,
न्याय के लिए मन में भक्ति हो,
पश्चाताप हो गलत व्यवहार का,
हिम्मत हो आत्म- परिष्कार का,
तो सही परवरिश है तुम्हारी।
गर्व हो अपने संस्कारों का,
स्थान नहीं हो विकारों का
जीवन का हो कोई उद्देश्य,
हो ना मन में किसी से द्वेष,
तो सही परवरिश है तुम्हारी।
(मेधा झा)