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Wednesday, June 11, 2025

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Poetry by Medha Jha: छोटी छोटी खुशियां

(POETRY)

छोटी छोटी खुशियां

कितना अच्छा लगता है
जब मां से बातें करते हैं!
चोटी पर खुद को पाते हैं
पापा से तारीफ पाते हैं!
एक सुंदर सी कविता पढ़कर
मन आह्लादित हो जाता है
गीत ओजपूर्ण सुन कर तब
शौर्य द्विगुणित हो जाता है!
मम्मी के चेहरे की संतुष्टि से
अंतर्मन की दुविधा हटती है!
पापा के चेहरे की स्मित से
जहां की खुशियां मिलती है!
इन छोटी छोटी खुशियों से
संसार मेरा चहकता रहे,
बस और कुछ नहीं चाहिए,
जीवन बगिया महकता रहे!
(मेधा झा)

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