उस वय में
जब प्यार शब्द
नहीं आया था शब्दकोश में मेरे,
रक्त सम्बन्धी के बाद
प्रथम प्रेम तुम ही तो हो
मेरी हिंदी !
तुम्हारे शब्दों ने
गढ़ा जादुई दुनिया
मेरे इर्द- गिर्द
सैर करवाते रहे तुम
देश विदेश की मुझे,
कितने किस्से सुने
मैंने तुमसे
संस्कृति- सभ्यता के बारे में
और फिरती रही निरंतर
वोल्गा से गंगा तक।