Poetry By Mamta Ladiwal: एक बेटी का मायका कभी उसके लिए पराया नहीं होता , पढ़िए ..
जिस आँगन में तू है खेली, वो आँगन अब भी तेरा है ।
पापा पापा कह कर दौड़ी, वो आँगन अब भी तेरा है ।
दुनिया भर की ख़ुशियाँ तेरी
झोली में नित रास रचाए
वृंदावन की कुंज गली सा
जीवन का हर पथ हो जाए
याद हमेशा पर ये रखना..
भाई बहन संग की शैतानी, वो आँगन अब भी तेरा है ।
पापा पापा कह कर दौड़ी, वो आँगन अब भी तेरा है ।
कभी बहन सी, कभी तो माँ सी
तूने कितनी डांट लगाई
कभी दबाया सिर मेरा तो
कभी बनाकर चाय पिलाई
गुड्डे गुड़ियों की शादी कर…
दुनिया भर की धूम मचाई, वो आँगन अब भी तेरा है।
पापा पापा कह कर दौड़ी, वो आँगन अब भी तेरा है ।
दो दो कुल की है मर्यादा
दो दो कुल की शान तुझी से
नाम सदा ऊँचा रखना तू
मेरा हर सम्मान तुझी से
पर बिटिया ये भूल न जाना…
जहाँ रचाई हल्दी मेहंदी, वो आँगन अब भी तेरा है ।
पापा पापा कह कर दौड़ी, वो आँगन अब भी तेरा है ।
– ममता लड़ीवाल