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Sunday, June 15, 2025

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Poetry by Kalpana Pandey: बोलो तुम दोगे साथ ?

Poetry by Kalpana Pandey पढ़िये शब्दों और भावों की सुन्दर जुगलबंदी जो एक संदेश है उस हर व्यक्ति के लिये जो प्रेममय है..

बोलो तुम दोगे साथ ?

 

जिस्म से रूह का इक सफ़र
दोगे साथ?
जगना सोना बेकार की बात
जियोगे साथ?
ख़्वाब में भी गर उदासी पसरे
हंसोगे साथ?
रुकना होगा तो हमेशा के लिए
चलोगे साथ?
मामला नहीं है मसला उम्र का
बीतोगे साथ?
एक ही ख़्वाब दस बार देखना
उड़ोगे साथ?
दूर पास फिर तो कुछ न होगा
होगे साथ?
समय की रेत तो धंस गए अगर
बंधोगे साथ?
खुदा के आगे अब तुमको रखा
कहोगे साथ?
भीड़ में गुम और गुम में हम
ढूंढोगे साथ?
पहाड़ों पर किस नाम का बादल
देखोगे साथ?
न कहा अभी न कहेंगे कभी
सुनोगे साथ ?
मैं बारिश तुम धूप सही
चूमोगे साथ?
मैं खो जाऊं तुम मिलो कभी
रो लोगे साथ?
*मुझे हमेशा आखिर में रखना
जिसके बाद बाद न हो !
(कल्पना पांडे)

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