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Saturday, March 15, 2025

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Poetry by Juvi Sharma: कई मर्दो से प्रेम करने वाली स्त्री

(POETRY)

कई मर्दो से प्रेम करने वाली स्त्री

कई मर्दों से
प्रेम करने वाली स्त्री
पुरें गाँव के चूल्हें की आग होती है
उनका प्रेम याचना नहीं होता
इस सिस्टम को
दैहिक दैविक भौतिक ताप
वाली चौपाई से समझा जा सकता है
एक आवेदन जो
कोई भी स्वीकार करें
नीचें लिखें हुए बारीक अक्षरों में
नियम और शर्तों अनुसार….
जो प्राय पढ़ने के लिए नहीं होती
बार्टर के नियम हम पौराणिक काल से जानते हैं
इस देनदारी में गर स्त्री रांड हुई
तो पुरुष वही मरखन्ना बैल हुआ
जो गाँव के बाहर पड़े कूड़ेदान में गिरी झूठी पत्तल चबाता है
कोई फुंटूश नहीं ….
दीवारों पर लगने वाला फंगस
जिनकी जाति देह के लिए जीती है
गंधर्वों के उपासकों का
कोई वर्गीकरण
कोई नियमावली
अवैधानिक हैं….
(जुवि शर्मा)

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