-6.3 C
New York
Monday, December 15, 2025

Buy now

spot_img

Poetry by Dr Menka Tripathi : नाले पर कपड़े धोती स्त्री

Poetry by Dr Menka Tripathi: निस्संदेह, संवेदना का यह गहन स्तर कविता की दुनिया में मानव लेखनी की हृदय-स्पर्शी रचनात्मकता है..

नाले पर कपड़े धोती स्त्री
उसके हाथों में झरना बहता है!
नाले की गंध में
मैं जब भी साँस रोकती हूँ,
वो अपने बच्चे की मुस्कान खोलती है
धुलते कपड़ों की तरह…
उसके गीले आँचल से
पानी टपकता नहीं,
बचपन बहता है —
उसका, और अब उसके बेटे का भी।
एक हाथ में साबुन है,
दूसरे में दूध की बोतल,
और माथे पर एक सूर्य है
जो चमकता है…
हर रोज़, सुबह आठ से शाम चार तक।
वो नाले को गंदा नहीं मानती
क्योंकि
उसके मन में
हर काम पूजा है।

(डॉ मेनका त्रिपाठी)

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles