(POETRY)
तुम्हें गवारा हो न हो
ज़रूरी है ये तुम्हें समझाने के लिए
एक दूरी फिर से ज़रूरी है
और क़रीब आने के लिए
ख़ालीपन महसूस होना ज़रूरी है
एहसास-ए-चाहत को
फिर से जगाने के लिए
लौट के आऊँगी मैं फिर से
एक नई मोहब्बत
तेरे संग निभाने के लिए..
(अपराजिता बेदी)