-3.3 C
New York
Monday, December 15, 2025

Buy now

spot_img

Poetry by Ankita Chaturvedi: जब जब प्रेम तुम्हारा ठहरा

Poetry by Ankita Chaturvedi: सहज मानवी प्रेम का सहज कवितात्मक चित्रांकन देखिये..

मन जंगल के वीराने में
जब जब प्रेम तुम्हारा ठहरा
मचल उठी पुरवैया जैसी
टिक पाया न कोई पहरा !

प्रेम तुम्हारा मेरे मन की
सोई सोई गौरैय्या को
जगा जगा कानों में बोला
अमृत सा तन मन में घोला !

प्रेम तुम्हारा
मार गया है
मेरी पीड़ा के विषधर को
मीठी सी एक झील कर गया है !

खारे खारे से सागर को
प्रेम तुम्हारा मेरे मन की
खोई खोई सी गैया को
हरा हरा चारा दिखलाकर
ला खूँटे से बांध गया है !

प्रेम तुम्हारा हिया हमारा
हाय यूं बेचैन कर गया
बिन काजल के काले काले
तीखे तीखे नैन कर गया !

(अंकिता चतुर्वेदी)

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles