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Monday, December 15, 2025

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Poetry by Ankita Chaturvedi: सब लड़कियां राजकुमार के सपने नहीं देखतीं

(Poetry by Ankita Chaturvedi: पढ़िये स्त्री जीवन का अभिशाप..मध्यमवर्गीय घर में पैदा होने का पाप..एक चित्र यथार्थ का)

सब लड़कियां राजकुमार के सपने नहीं देखतीं

कॉलेज के बाद तीन ट्यूशन पढ़ाकर
घर को आती परिवार की बड़ी लड़की
ऑटो रिक्शा में फंसकर जब बैठती है, बगल में दबाए किताब
हिंदी साहित्य पढ़ने वाली ये लड़की लगा रही होती है हिसाब
छोटे भाई की पढ़ाई का
पापा की ऐनक और मां की दवाई का
लार चुआते पुरुषों पर ध्यान न देना
उसकी दिनचर्या का हिस्सा है
मुठ्ठी भर रुपयों में घर घसीटना ज़्यादा ज़रूरी किस्सा है
छाती पर हाथ मारे जाने की हरकत
उसके लिए मामूली सी घटना है
दिमाग को रोटी पानी की जुगाड़ में जो खटना है
हालांकि…. सहम जाती है वो, डरती भी है
पर क्या करे, ये तो रोज़ का रोना है
लड़की बन पैदा हुई , ये तो होना है
सब्ज़ी वाले से दो रुपया कम कराती
पूरी औरत हो गयी है ये नन्ही सी जां
मां का सर, पिता के पांव दबाती,
हो जाती है उनकी मां
ग्रेजुएशन करके छोटे से किसी स्कूल में
टीचर हो जाने का सपना देखने वाली
ये लड़की, सुंदर नहीं है, ऐसी बात नहीं है
पर….
सफेद घोड़े वाले राजकुमार के सपने देखना…
न..न… उसकी औकात नहीं है
उसे अपना राजकुमार अपने आप होना है
घर की इस बड़ी लड़की को घर का बाप होना है…
(अंकिता चतुर्वेदी)

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