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Thursday, June 12, 2025

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Poetry by Amandeep Gujral: जब मैं लिख रही हूँ कविता तुम्हारे लिए

Poetry में पढ़िये अमनदीप गुजराल के भाव विश्वास का रंग लिये प्रेम की तरंग लिये..
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जब मैं लिख रही हूँ कविता तुम्हारे लिए

एक बौराई हुई कोयल गा रही है गीत
इस उम्मीद पर
कि भर जाएगी मिठास आमों में ……
मोर नाच रहा है बेसुध सा
कि उसे नाचता देख बरसेंगे बादल…..
ठीक उसी उम्मीद से चिड़िया बुन रही है घोंसला
कि कोई तूफान न हिला पाएगा उसे…..
एक लड़की रख रही है व्रत
सुंदर, सुनहरे भविष्य की आस में…..
एक पत्नी बुन रही है उम्मीदें
वफ़ा, रिश्तों और सम्मान के…..
एक प्रेयसी देख रही है सपने
घर और बगिया के…..
ठीक उसी तरह, जब मैं लिख रही हूँ कविता
तुम्हारे लिए……
तितली के चूमने से फूलों में भर रहे हैं रंग !

(अमनदीप गुजराल ‘विम्मी’)

 

(इस विश्व के प्रथम मात्र-महिला मंच OnlyyWomen पर धरा की प्रत्येक महिला लेखिका व पाठिका का ससम्मान स्वागत है !!)

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