Poetry by AgyaatVeera: मैंने तुम्हें आज बहुत चुपचाप याद किया…

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(Poetry)

मैंने तुम्हें आज बहुत चुपचाप याद किया…

इतनी चुपचाप कि

जैसे कोई सांस ले रहा हो

बिना आवाज़ के

जैसे कोई साज़ हो

पर सुर न निकले।

ना कोई आँसू बहा

ना किसी से कुछ कहा

ना चेहरे पर कोई शिकन आई…

सब कुछ एकदम सामान्य था

पर भीतर बहुत कुछ

हलचल कर रहा था

सड़क पर चलते हुए भी

तुम याद आए

जब ट्रैफिक की आवाज़ें थीं

लोगों की भीड़ थी

तब भी मन तुम्हारे आसपास ही भटका

धूप की तपिश में भी

अंधेरे की खामोशी में भी

और उस हल्की-सी बारिश में भी

हर एक बूँद जैसे तुम्हारा नाम

लेकर गिर रही थी

पर दिल के भीतर

एक तूफान चल रहा था

हर धड़कन में एक पुकार थी

हर सांस में एक सिसकी छुपी थी

हाँ, मैंने तुम्हें आज

बहुत चुपचाप याद किया

पर उस खामोशी की गूंज

सीधे दिल से टकरा रही थी..

(अज्ञातवीरा)

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