One minute read : Preeti Saxena writes -अपनी कलम से नहीं अपने दिल से प्रस्तुत किये हैं भाव प्रीति ने..
कभी-कभी वक़्त का इक दौर ऐसा भी आता है … कि ज़रा-ज़रा सी बात पर आँख नम हो जाती है …. कोई छोटी सी बात.. कोई भूली बिसरी याद… कोई धुंधलाई सी तस्वीर… कोई पसंदीदा गीत … वजह मायने नहीं रखती… पर हाँ.. उससे जुड़ी हुई यादें……. बहुत मायने रखती हैं…… और यही इंसान को …..कभी बेवजह हँसाती हैं … तो कभी बहुत रुलाती भी हैं ..
वैसे देखा जाये तो ……..इंसान को मौके की नज़ाकत को देखते हुए अपने हर ग़म को पानी कर देना चाहिए … कहते हैं आँसू आँखों की वह बारिश है .. जिसके बाद हर मंज़र बहुत साफ़ दिखता है …. सीने में उमड़ते-घुमड़ते बादल बरस जाते हैं …. और जी हल्का हो जाता है …. जिस दिल को रोना नहीं आता …. उसके दर्द का हिसाब लगाना नामुमकिन है …. अगर भीतर का ज्वार बाहर नहीं उफनाये.. तो अन्दर बहुत नुकसान पहुंचा सकता है …
(प्रीति सक्सेना)
(इस विश्व के प्रथम मात्र-महिला मंच OnlyyWomen पर धरा की प्रत्येक महिला लेखिका व पाठिका का ससम्मान स्वागत है !!)