Nida Fazli: नौ साल पहले 8 फरवरी कहा को जिसने दुनिया को अलविदा – वो सांस लेता है जहन में आज भी शायर हम सबका निदा..
आज के ही दिन 2016 में उनका देहांत हो गया। पर वो अभी हैं अपनी रचनाओं में जो आज भी उतनी ही बेमिसाल हैं।
उनके कुछ दोहे जो दिल के बहुत करीब हैं, ये रहे:
“कभी किसी को मुकम्मल जहां नही मिलता
कही जमीं तो कही आसमान नही मिलता “
“मैं रोया परदेस में ,भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बात की ,बिन चिट्ठी बिन तार”
“बच्चा बोला देखकर ,मस्जिद आलीशान
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान”
“बहने चिड़िया धूप की , दूर गगन से आये
हर आँगन मेहमान – सी ,पकड़ो तो उड़ जाये”
“सुना है अपने गाँव में रहा न अब वो नीम
जिसके आगे मांद थे सारे वैद्य -हकीम “
“सीधा -सादा डाकिया ,जादू करे महान
एक ही थैले में भरे ,आंसू और मुस्कान “
उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
(मालती जोशी फाज़ली)