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Menka Tripathi writes: विश्व रंगमंच दिवस पर सिडनी ओपेरा हाउस की यात्रा

Menka Tripathi के इस लेख में पढ़िये उनकी ऑस्ट्रेलिया यात्रा के एक पड़ाव को..

27 मार्च, विश्व रंगमंच दिवस—यह दिन रंगमंच और उसकी कला को समर्पित है। इस खास मौके पर मेरी यात्रा ऑस्ट्रेलिया के सिडनी ओपेरा हाउस तक हुई, जो अपने अनूठे वास्तुशिल्प और रंगमंचीय इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।हमारी टीम—वरिष्ठ अधिकारी डॉ. जयकांत शर्मा, डॉ. राजेंद्र घोड़ा, डॉ. सविता तायडे, डॉ. प्रतिभा और अपूर्वा जी के साथ मैं फिजी से सिडनी एयरपोर्ट पहुँची। अगली उड़ान के बीच नौ घंटे का अंतराल था, जिसे हमने सिडनी घूमने का सुनहरा अवसर माना।
ओपेरा हाउस—समुद्र के किनारे खड़ा एक भव्य अदाकार
गहरे नीले सिडनी हार्बर के किनारे खड़ा ओपेरा हाउस अपनी शान से स्वयं एक अदाकार प्रतीत होता है। मैं वहाँ खड़ी सोच रही थी—या तो यहाँ पंडित रवि शंकर और लता मंगेशकर आए होंगे, या फिर भारत से मैं!
यह विश्व प्रसिद्ध स्थल, न्यू साउथ वेल्स, ऑस्ट्रेलिया में स्थित एक बहु-स्थलीय प्रदर्शन कला केंद्र है। इसे 20वीं सदी की महान वास्तुकला कृतियों में गिना जाता है। डेनमार्क के वास्तुकार जॉर्न उत्ज़ॉन द्वारा डिज़ाइन किया गया यह भवन 1973 में उद्घाटित हुआ और 2007 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है।
थिएटर और रंगमंच का सफर—इटली से भारत तक
थिएटर का इतिहास सदियों पुराना है।
1594 में इटली के फ्लोरेंस शहर में ‘ला दाफ्ने’ नामक ओपेरा का प्रदर्शन हुआ, और यहीं से ओपेरा की कला ने जन्म लिया। उस समय शायद किसी को अंदाजा भी नहीं था कि वे एक नई रंगमंचीय विधा को जन्म दे रहे हैं!
भारत में रंगमंच की परंपरा अंबिकापुर जिले के रामगढ़ पहाड़ तक जाती है, जहाँ महान कवि कालिदास ने भारत की पहली नाट्यशाला में ‘मेघदूत’ की रचना की थी। भारतीय रंगमंच की जड़ें भरतमुनि के नाट्यशास्त्र से लेकर यम, यमी और उर्वशी के संवादों तक फैली हुई हैं, जिन्होंने नाट्यकला को शास्त्रीय रूप दिया।
एक नए दृष्टिकोण से ओपेरा हाउस
बचपन में जब मैं टीवी पर ओपेरा देखती थी, तो अंग्रेज़ों के गाने के अनूठे अंदाज पर हंसती थी, लेकिन इस यात्रा ने मेरे कला, शिल्प और सौंदर्य के दृष्टिकोण को पूरी तरह बदल दिया।
हमने यहाँ की रिकॉर्डिंग स्टूडियो, कैफ़े, रेस्तरां, बार और रिटेल आउटलेट्स का भरपूर आनंद लिया। जयकांत सर जी की विनम्रता का लाभ उठाकर हमने सबसे ज्यादा चित्र उनसे ही खिंचवाए! बालों में गुलाब लगाकर, हाथ में कॉफी लिए, मोहन राकेश की ‘मल्लिका’ के संवाद दोहराए और ठिठोली की।
हमारी साथी जय श्री शिंदे जी मुस्कुराते हुए बोलीं—”बस करो, आगे भी बहुत कुछ देखना है, मेनका!”
रंगमंच और मैं
मेरी मित्र Avis Oxbury और Pattie Rosveld सिडनी से ही हैं, और Madhu Khanna ने मुझे विस्तार से बताया कि ओपेरा हाउस छात्रों को मुखरता, अभिनय और नाटकीय दृश्यों का अध्ययन करने का अवसर भी प्रदान करता है। मैं स्वयं ‘प्रयास नाट्य एवं फिल्म प्रकोष्ठ’ की कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही हूँ, इसलिए यह अनुभव मेरे लिए और भी महत्वपूर्ण था।
ओपेरा हाउस—एक प्रेरणादायक धरोहर
प्राचीन और आधुनिकतावादी प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, सिडनी ओपेरा हाउस की मूर्तिकला की भव्यता ने इसे 20वीं सदी की सबसे पहचानने योग्य इमारतों में से एक बना दिया है। यह प्रेरणा और रचनात्मकता का प्रतीक है।
आज, विश्व रंगमंच दिवस पर, मैंने इस मुस्कुराती इमारत को बहुत याद किया।
विश्व रंगमंच दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

(मेनका त्रिपाठी)

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2 COMMENTS

  1. बहुत अच्छे। विश्व नाट्य दिवस पर सही आकलन। हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।

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