वक्फ बोर्ड ख़त्म करवाना था तो मज़बूत मोदी लाते। अब कमजोर मोदी लाये हो तो मामूली सुधारों से काम चला लो।वो इसलिए तो तुम लोगों से 400 पार मांग रहा था। मग़र तुम लोगों ने सोचा हमने मोदी को मज़ा चखा दिया। Actualy में वो मज़ा तुम लोगों ने ख़ुद चखा है । और अगले 4 साल तक चखते रहोगे।
पता नहीं ये मोदी किस मिट्टी का बना है, इसके अपने इसे इतने ज़ख्म देते आ रहे हैँ ये फिर भी इनकी भलाई के लिये लगा हुआ है। क्या पड़ी थी इसको वक्फ के झंझट में पड़ने की। बिना विवादित मुद्दों को छेड़े 5 साल आराम से सरकार चला सकता है। या बीच में रिटायरमेंट लेकर,झोला उठाकर हिमालय पर जा सकता है। मग़र इसने प्रण लिया है कि आख़िरी सांस तक देश के हित के लिये काम करता रहेगा।
कम से कम मुझे तो इस मोदी (240 सीट ) से अगले 4 साल तक कोई शिकायत नहीं रहेगी। क्यूंकि इस बार मैने कमजोर मोदी को चुना है। हाँ अगर 400 पार वाला मोदी वक्फ बोर्ड को ख़त्म करने की जगह वक्फ संशोधन बिल लाता तो मुझे भी उनसे शिकायत होती। मैं भी उनके विरोध में लिख रहा होता।
मग़र आज नहीं लिख पाऊँगा क्यूंकि मैंने मोदी को उतने मज़बूत हाथ ही नहीं दिये जिनसे वक्फ का खात्मा किया जा सके। आज मैंने उनके कमजोर हाथों में दो बैसाखियां पकड़ा दी हैँ और उन्हें अपने पैरों पे खड़ा होने लायक भी नहीं छोड़ा।
सोचिये 20-30 सीट और कम होती तो आज जिस वक्फ बोर्ड के सुधारों में तुम नुक्स निकाल रहे हो, उसकी जगह वक्फ बोर्ड को मज़बूत बनाने वाला बिल लाया जाता, और तुम्हारे मुँह से चूँ तक नहीं निकलती। आज जो खुलकर तुम मोदी के खिलाफ़ अनाप शनाप बक देते हो या लिख देते हो, विपक्ष की सरकार आ जाती तो तुम पता नहीं कौनसे बिल में घुस चुके होते। तुम्हारी छाती पर मूंग दली जाती और तुम उफ़ तक नहीं करते। मुझे तो सिर्फ एक ही बात समझ आती है।
या तो तुम मोदी के लायक नहीं हो या मोदी तुम्हारे लायक नहीं है। कुछ भी समझ लेना मग़र दोनों का मतलब एक ही है, और वो ये है कि तुम हिन्दू अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगे। अपनों को ही घायल करोगे और अपनों को ही गरियाओगे।
(प्रस्तुति – मंजू गुप्ता)