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Thursday, March 13, 2025

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M For Memories: उनकी आंखो में आंसू प्रशंसा के भाव थे !

M For Memories में आज पढ़िए प्रीती सक्सेना की कलम से उनके जीव की एक एक अविस्मरणीय घटना..

३२ साल पुरानी बात है, मैंने नया-नया ब्यूटी पार्लर शुरू किया था। पतिदेव का टूरिंग जॉब था, दोनो बच्चे बहुत छोटे थे, मन लगाने के लिए अपने घर के एक कमरे को पार्लर का रूप दे दिया था

उस समय इंदौर में गिने चुने पार्लर ही थे, बेटे को स्कूल और बेटी को प्ले स्कूल भेजकर मैं फ्री हुई ही थी कि अचानक अपने घर के सामने ऑटो रुकते हुए देखा, खिड़की से देखा तो एक वृद्ध पुरुष और महिला दिखे, पहचाने हुए नहीं लगे तो सोचा ससुराल वाले होंगे, झट से पल्ला सिर पर ले लिया, दरवाजा खोलकर उनका अभिवादन किया उन्हें बैठाया।

आने का प्रयोजन कैसे पूंछू उसके पहले ही उन्होंने बताया की वो काफी दूर की कॉलोनी से आएं हैं , मैं उन्हें अंकल बोलकर संबोधित कर रही थी, तो अंकल काफी शर्माते और सकुचाते हुए बोले मैं “इनके बाल रंगवाना चहता हूं और जो भी आप इनकी सुंदरता को बढ़ाने में प्रयास कर सकती हैं वो कर दीजिए । शाम को पार्टी है, उसके लिऐ तैयार कर दीजिए ।”

मैंने गौर से आंटी को देखा , सन की तरह सफेद बाल चेहरे पर काफी झुर्रियां , मुझे समझ में नहीं आ रहा था कहां से शुरू करूं , खैर मैंने अंकल से पूछा “हेयर डाई टेस्ट करना पड़ता है, क्या पहले भी आंटी ने डाई लगवाया है?

“तो वो शरमाते हुए बोले, हां शादी के समय!

मैं बोली, “उस बात को तो ३५ या उससे ज्यादा साल हो गए होंगे न?”

वो बोले “नहीं एक साल पहले…. मैं फिर चौंक गईं, वो मेरी दुविधा को समझ गए, बोले.

” मेरी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है, बेटे मुझे अपने साथ रखना नहीं चाहते, सरकारी नौकरी से रिटायर हुआ हूं किसी पर आश्रित नहीं हूं, ये मुझे मंदिर में मिलीं इनका विवाह नहीं हुआ, बीमार रहतीं थीं इसलिए , हमें साथ चाहिए था इसलिए हमने शादी कर ली, आज हमारी शादी की पहली सालगिरह है, इसलिए मैं तैयार करवाने आपके पास आया हूं। ”

सच कहूं मेरी आंखो में आंसू आ गए …. निशब्द रह गई, मैंने अंकल को चाय बिस्किट्स दिए टीवी चलाकर आराम से बैठने को कहा और आंटी को पार्लर में ले गईं करीब ढाई घंटे बाद मैं उन्हें जब अंकल के पास लेकर आई , सच कहूं मेरे पास शब्द नहीं हैं

कैसे उनकी आंखो में खुशी, आंसू प्रशंसा के भाव थे , दोनों शीशे में एक दूसरे को देखकर खिलखिला रहे थे भूल गए थे दोनो कि वो हैं कहां ? मैं खुद खुशी की अधिकता से बहुत भावुक हो गई थी।

दोनो बार बार मुझे धन्यवाद दिए जा रहे थे। पेमेंट मैने बहुत मामूली लिया क्योंकि ऐसा क्लाइंट मेरे पास शायद ही कभी आए ,

हम जीवन में बहुतों से मिले हैं, कुछ याद रहते हैं कुछ भूल जाते हैं पर मैं उस जोड़े को आज तक नहीं भूल पाई।

(प्रीति सक्सेना,इंदौर)

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