“सीज़फायर” की घोषणा के बाद से आहत,बेचैन मेरे प्यारे,अतिभावुक देशभक्त मित्रों यह अंतर्राष्ट्रीय राजनीति है!कूटनीति है इसे अत्यधिक भावुक होकर, व्यक्तिगत होकर मत देखिए!
इस पर न ही अत्यधिक नकारात्मक प्रतिक्रिया कीजिए!हम सब थोड़े निराश हैं किंतु हमें इस निराशा की तह में जाना चाहिए! भारत और पाकिस्तान के बीच “सीज़फायर” की स्थिति कई बरसों से है (1947 तथा 1949 ! भारत इस सीजफायर समझौते का शुरुआत से सम्मान करता रहा है और भारत ने कभी भी आगे से पाकिस्तान पर हमला नहीं किया! किंतु जब भी पाकिस्तान की तरफ से हम पर कोई हमला हुआ है तो भारत और विश्व ने उसे “सीजफायर का उल्लंघन” माना है!
यदि पहले की सरकारों जैसी स्थिति होती तो पहलगाम में हमारे नागरिकों के साथ जो कुछ हुआ उसे “आतंकी गतिविधि” करार दे दिया जाता और एक बार फिर पाकिस्तान साफ –साफ बच निकलता! किंतु वर्तमान भारत सरकार ने इस हमले को “सीज़फायर का उल्लंघन” मानते हुए “ऑपरेशन सिंदूर” लॉन्च किया और स्पष्ट किया कि हम पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ठिकानों को ही निशाना बना रहे हैं! यह कूटनीति है जिसे आप और हम नहीं समझे और भावनाओं में बहकर मीडिया वालों की तरह हम सभी ने अपनी तरफ से “युद्ध ” की घोषणा कर दी!
किंतु प्यारे मित्रों आप देखिए न तो भारत और न ही पाकिस्तान ने आधिकारिक रूप से युद्ध की घोषणा और न ही सरकारी मीडिया चैनल्स “आकाशवाणी” और “दूरदर्शन” पर ऐसी कोई खबर आई! दोनों देशों ने इसे जवाबी कार्यवाही की तरह प्रस्तुत किया किंतु भारत ने यह जवाबी कार्यवाही अत्यधिक आक्रामक रूप से की और आतंक के विरुद्ध इस बार अपनी तीनों सेनाएं उतार दी!
हम सब भावनाओं में डूब गए और नाचने लगे कि अब तो “पीओके” लेकर ही मानेंगे! किंतु भारतीय सेना बार –बार यह स्पष्ट करती रही कि हम पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला कर रहे हैं! लेकिन जब निर्लज्ज पाकिस्तान की ओर से माफी मांगने की जगह भारत के ही सीमांतरित शहरों ,रिहायशी इलाकों पर हमला किया जाने लगा तब भारतीय सेना ने भी इस्लामाबाद, कराची, पेशावर आदि जगह हमला किया! और इसीलिए पाकिस्तान को आनन –फानन में “आईएमएफ” से कर्ज लेना पड़ा! युद्ध की पूरी तैयारी दोनों ही तरफ नहीं थी! उत्साह था,जोश था,क्रोध था पर भारत ने “उरी सर्जिकल स्ट्राइक” तथा “बालाकोट एयर स्ट्राइक” की तरह ही यह “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया था! बस पहले दोनों ऑपरेशन साइलेंटली किए गए , जिसको पाकिस्तान नकारता रहा, भारत में बैठे पाकिस्तान समर्थकों ने तक सबूत मांग डाले!!
किंतु इस बार ,पहली बार डंके की चोट पर भारत की तीनों सेनाओं ने दुनिया के सामने पाकिस्तान की जमकर धुनाई की है! तितर –बितर कर दिया, मौका देखकर पाकिस्तान पर बलूचियों ने भी हमला कर दिया था, और इसीलिए हड़बड़ी में अमेरिका और साउदी अरब आदि देशों का दबाव हुआ होगा और भारत को समझाया गया यह “सैन्य कार्यवाही” रोकने लिए!
देखा जाए तो भारत सरकार ने यहां अत्यधिक कुटिलता से कार्य किया है! पाकिस्तान की अच्छी धुनाई करने के बाद भी भारत सरकार और सैन्य अधिकारी यही कह रहें है कि हम तो पाकिस्तान में संचालित आतंकी ठिकानों और आतंकी सरगनाओं पर ही हमला कर रहे थे,पाकिस्तानी मिलिट्री से हमारी कोई टकराहट नहीं! भारत क्यों आगे से युद्ध की घोषणा करें जबकि पाकिस्तान छिछली हरकते करते हुए, आतंकियों को पालते हुए भी दुनिया के सामने “बेचारा”बनकर खड़ा हो जाता है! यह कूटनीति है मित्रों! सच यह है कि भारतीय सेना का “ऑपरेशन सिंदूर” बेहद सफल रहा!
किंतु इस कथित “सीज़फायर ” के बाद भारत सरकार ने बहुत सख्ती से यह निर्देश दे दिया है कि “अब भारत के खिलाफ हुई किसी भी आतंकी गतिविधि को भारत के विरुद्ध युद्ध माना जाएगा!” आप सरकार की मंशा,कार्यशैली और कुटिलता को समझने की जगह भावुकता में सरकार के ही विरोधी हो जा रहे हैं! कुछ मूर्ख आत्माएं तो इस ” लगभग 4 दिन”चली सैन्य कार्यवाही की तुलना 1971 के युद्ध से कर , स्व. इंदिरा गांधी जी की जय –जयकार तक कर रही हैं!
अरे मूर्खों, इंदिरा गांधी ने सबसे बड़ी गलती यह की थी कि सीजफायर के बाद “शिमला समझौता” के तहत उन्होंने 90 हजार से अधिक पाकिस्तानी कैदी यानी शत्रु देश के बंदी यूं ही छोड़ दिए , यही नहीं युद्ध में कबजाई हुई जमीन भी मुफ्त में लौटा दी थी ! मैडम ने बदले में ना तो बांग्लादेश का भारत में विलय कराया और ना ही वहां हिंदुओं के लिए भारत की तरह समान नागरिक अधिकार सुनिश्चित करवाया!
कैसे आप दोनों प्रसंगों कि तुलना कर सकते हैं? बिना सारे तथ्य जाने,बिना पूरा पक्ष जाने प्रतिक्रिया करना,वाचाल हो जाना, उत्तेजित हो जाना यह सोशल मीडिया से फैली बीमारी है,इससे बचिए मित्रों! सचेत रहिए,सजग रहिए,जिम्मेदार बनिए, परिपक्व बनिए…आपकी भी कोई जिम्मेदारी है इस देश के प्रति
(सुजाता मिश्रा)