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Thursday, June 12, 2025

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Poetry by Sweety Sakhi: जीवन भी ये क्या जीवन है।

(POETRY)
जीवन भी ये क्या जीवन है।
बस साँसों का इक बंधन है।
जब से बीत गया बचपन है।
एक अजब-सा ख़ालीपन है।
छुट्टी में भी सूना-सूना
दादी नानी का आंगन है।
छूट गए सब रिश्ते-नाते
अपने में हर एक मगन है।
मिलकर भी लगती है दूरी
झूठा सबका अपनापन है।
भीगी-भीगी रहतीं आँखें
मन का हर मौसम सावन है।
ख़ुशियाँ भूल गईं हैं रस्ता
खुद से भी जैसे अनबन है।
शख़्स कोई अनजाना है ये
धुंधला-धुंधला सा दरपन है।

कविता है न ग़ज़ल ये कोई
मेरी साँसों का स्पंदन है।
कलम बनी है ‘सखी’ ज़िंदगी
शब्द-शब्द इसकी धड़कन है।
(स्वीटी ‘सखी’) 

(इस विश्व के प्रथम मात्र-महिला मंच OnlyyWomen पर धरा की प्रत्येक महिला लेखिका व पाठिका का ससम्मान स्वागत है !!)

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