अक्सर छुप छुप के मिलती है
मुझे मासूम सी एक लड़की !
अपनी शर्मीली आँखों से
सब कह देती है एक लड़की !
मुझसे खामोश हो कर के
डरा देती है एक लड़की !
ज़िन्दगी अपने होने से
बना देती है एक लड़की !
मैं थकता हूँ तो लोरी सी
बन जाती है एक लड़की !
मुझे क्यों ऐसा लगता है
मुझ जैसी है एक लड़की !
हाँ तुम्हारे जैसी है शायद
बड़ी प्यारी है एक लड़की !
(सुमन पारिजात)



