Lata Mangeshkar ने नहीं गाया – कभी तन्हाइयों में यूँ हमारी याद आयेगी..और आ गई आज मुबारक बेगम की याद..इस एक भूले हुए किस्से के साथ..
साल 1961 की बात है। जाने-माने निर्देशक और निर्माता केदार शर्मा अपनी फ़िल्म “हमारी याद आएगी” के संगीत की तैयारी में लगे थे। इस फ़िल्म का टाइटल सॉन्ग था — “कभी तनहाईयों में यूं हमारी याद आएगी…” जो वह लता मंगेशकर जी से गवाना चाहते थे।
ड्राइवर की ज़िद ने बदला फ़ैसला
केदार शर्मा अपनी आत्मकथा “The One and Lonely Kidar Sharma” में लिखते हैं कि लता जी दो बार स्टूडियो आईं और दोनों बार रिकॉर्डिंग टालकर चली गईं। वजह थी — उनके ड्राइवर की ज़िद।
ड्राइवर ने केदार शर्मा से कहा —
“रिकॉर्डिंग तभी होगी जब आप मुझे ₹140 देंगे।”
जब शर्मा जी ने पूछा कि पैसे किसलिए चाहिए, ड्राइवर ने कहा —
“सब देते हैं, आपको भी देने होंगे।”
इस पर केदार शर्मा ने साफ कहा —
“मैं लता जी से जो शर्तें तय की हैं, सिर्फ वही मानूंगा। तुमसे पैसे देने की कोई बात तय नहीं हुई।”
ड्राइवर मुस्कुराया और चुटकी ली —
“तो ठीक है, देखिए रिकॉर्डिंग हो पाती है या नहीं।” इसके बाद पता चला कि लता जी स्टूडियो छोड़कर जा चुकी थीं।
गाने की रिकॉर्डिंग मुबारक बेगम से
इस रवैये से परेशान होकर, केदार शर्मा ने फैसला लिया कि अब वो ये गाना लता जी से नहीं गवाएँगे। उन्होंने गायिका मुबारक बेगम से संपर्क किया — और वही गाना उनसे रिकॉर्ड करवाया।
शर्मा जी मानते हैं कि अगर लता जी गातीं तो गाना बेहतरीन होता, लेकिन मुबारक बेगम की गायकी में जो अनोखापन था, उसने इस गाने को खास बना दिया।
कल थी मुबारक बेगम की पुण्यतिथि
मुबारक बेगम का 18 जुलाई 2016 को निधन हो गया था। कल उनकी 9वीं पुण्यतिथि थी।
उनकी आवाज़ ने ना सिर्फ इस गाने को अमर बनाया, बल्कि उन्हें भी एक पहचान दी — जो शायद इस किस्से के बिना इतनी ज़ोरदार न होती।
(प्रस्तुति – अंजू डोकानिया)