“जब पहली फोटो ली गई थी, उस समय मन में ना कुछ बनने की आशा थी, ना DSP का नाम सुना था। एक महिला जो सुबह से शाम तक घर के काम करती है और फिर अगले दिन का इंतज़ार करती है। वो थका हुआ शरीर, वो उदास आँखें,बंधनों से जकड़ी हुई, वही करना जो करने को कहा गया है।
सपनों की बात की, तो चार काम ऐसे देंगे की आपको याद नहीं आयेंगे सपने। अकसर गाँव के ग़रीब घरों में महिला को सपने देखने का भी अधिकार नहीं होता.. और आपने सपना देखा तो तैयार रहें झेलने को गालियां, हिंसा, मायके भेज देने की धमकियां, और मारपीट के लिए, जो यहाँ आम है।”
– ये कहना है DSP अंजू यादव का !
ऐसे ही माहौल में अंजू ने भी एक सपना देखा, और तमाम मुश्किलों के बावजूद इसे पूरा कर दिखाया।
हरियाणा के गाँव धौलेड़ा में किसान लालाराम यादव व सुशीला देवी के घर जन्मीं अंजू ने 12वीं तक की पढ़ाई अपने गाँव के सरकारी स्कूल से पूरी की, और BA की डिग्री सरकारी कॉलेज से दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राप्त की। इसके बाद राजस्थान के एक गाँव में उनकी शादी हो गई।
घर की लाख ज़िम्मेदारियों और बच्चे की परवरिश के साथ-साथ अंजू ने कभी आगे बढ़ने और आत्मनिर्भर बनने के अपने सपने को मरने नहीं दिया। तमाम विरोध के बावजूद उन्होंने शिक्षा और मेहनत जारी रखे।
“सपना बहुत छोटा था; अपने बेटे और ख़ुद को पालने का। इसके लिए मैंने कई ताने और पीड़ा सही। लेकिन इसी बीच एक आज़ादी भरी ज़िंदगी को गर्व से चुन लिया था। ये आज़ादी बहुत सालों में मिली धीरे-धीरे.. और उसके बाद मुझे वो प्यार और सम्मान मिलने लगा जो सालों से नहीं मिला था। जो इस दूसरी फ़ोटो में नज़र आ रहा है।”
चार बहनों में सबसे बड़ी, अंजू ने समर्थन न मिलने के कारण ससुराल छोड़ दिया और सरकारी भर्ती परीक्षाओं की तैयारी करने लगीं।
उन्होंने 2016 से 2018 तक मध्यप्रदेश नवोदय विद्यालय में टीचर के रूप में कार्य किया। इसके बाद जयपुर व दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ाया। 2021 में निकली भर्ती में चयनित होने के बाद मई 2024 में उन्होंने DSP के पद पर ज्वाइन कर अपने माता-पिता का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया।
वह कहती हैं- “सपने देखिए और उनको पाने के लिए जी-जान लगा दीजिए। एक दिन सब बदल जाता है। एक महिला के लिए थोड़ा ज़्यादा मुश्किल है। समय लगेगा, लेकिन आपके जज़्बे और मेहनत से बदलाव ज़रूर आएगा।”
(अ्ज्ञात वीरा)



